चिन्ता चिता से भी बुरी होती है,चिंता आपके जीवन के हर क्षण को दुखमय बना देगी, और सफलता के सारे दरवाजे भी बंद कर देगी वहीं चिंता आपके व्यकित्त्व को भी हानि पहुंचेगी, आप अपना आत्मविश्वास पूरी तरह से खो देंगे, आप बीमारियों को निमंत्रण देगें और अस्वस्थ हो जायेगे | इसलिए चिंता करने के बजाय आत्मचिंतन करें | आध्यात्मिक इन्सान बने | निरंतर मेडीटेसन का अभ्यास करें | मूर्खों से वाद विवाद और तर्क वितर्क करने से बचे | अपने आत्मसम्मान से कोई समझौता नहीं करें किन्तु आत्म अभिमानी भी नहीं बनें | स्वाभिमान के साथ जीये| अपने निकटतम परिचीतों एवं स्वजनों की भावनाओं,आवश्यकताओं का ध्यान रखें,उनकी अनदेखी नहीं करें | डर और शक के साये में नहीं जीये क्योंकि हकीम लुकमान के पासभी शक शंका का कोई इलाज नहीं है | निर्विवाद रूप से डर और शक आदमी की प्रगति और उन्नति में सबसे बड़ी बाधा है | याद रखें द्रोपदी के दुर्योधन पर कसे तंज और व्यंग ने ही महाभारत के युद्ध को जन्म दिया था इसीलिए कभी भी कटु शब्दों का प्रयोग कभी नहीं करें | किसी पर कभी भी तंज नहीं कसें | हमेशा मीठी वाणी बोले | अच्छा बोले अच्छा सुने और अच्छे वाणी बोले | दूसरों के कार्यों की आलोचना करने की जगह उनके अच्छे कामों की प्रशंसा उनके सामने और उनकी पीठ पीछे करें | जो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार करें | दूसरों के विचारों का भी सम्मान करें, उन्हें आदर दें | सभी को बिना शर्त स्नेह और प्यार दें |