ऋतुराज बसंत का पर्व बसंत पंचमी Part 2

dr. j k garg
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी ने जीवो और मनुष्यों की रचना भी इसी दी को की थी | ब्रह्मा जी सृष्टि की रचना करके जब उसे देखने लगे तो उन्हें प्रथ्वी पर चारों तरफ सुनसान निर्जन वातावरण दिखाई दिया जिससे प्रजापति खिन्न और उदास हो गये | ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु जी की आज्ञा अनुसार अपने कमंडल से पृथ्वी पर जल छिडका धरती पर गिरने वाले जल से वहां हर जगह पर कंपन होने लगता है और एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी स्त्री प्रकट हुयी उस देवीके एक हाथ में वीणा और दुसरे हाथ में वर मुद्रा थी बाकी अन्य हाथो में पुस्तक और माला थी | ब्रह्मा जी उस स्त्री से वीणा बजाने का अनुरोध किया देवी के वीणा बजाने के साथ ही संसार के सभी जीव-जंतुओ को वाणी प्राप्त को गयी | उसी क्षण ब्रम्हाजी ने उस स्त्री को “सरस्वती” कहा और सरस्वती को मधुर वाणी के साथ-साथ विद्याऔर बुद्धि भी प्रदान की | भगवान राम भी वसंत पंचमी के दिन शबरी के आश्रम पर आये एवं शबरी के झूटे बैर भी राम ने प्रेम पूर्वक खाये थे | किंवदंतीयो के मुताबिक सूफी संत चिश्ती निजामुद्दीन औलिया अपने जवान भतीजे की मृत्यु से अत्यंत दुखी हो गये थे| मशहूर शायर अमीर खुसरो ने वसंत पंचमी के दिन कुछ औरतों को पीले कपडे पहन कर पीले फूल ले जाते देखा तो खुद भी पीले कपडे पहन कर पीले फूल लेकर चिश्ती साहब के पास पहुँचे| उन्हें देख कर चिश्ती साहब के चहरे पर हँसी आ गयी| तभी से दिल्ली में निजामुद्दीन औलिया की दरगाह और चिश्ती समूह की अन्य सभी दरगाहों पर वसंत उत्सव को मनाया जाने लगा|

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