समाज सुधारक परम संत गुरु रविदास part 2

dr. j k garg
परमात्मा के समान बहुमूल्य हीरे को छोड़ कर अन्य की आशा करने वाले मनुष्य जरुर ही नरक में जाएंगे | जिस तरह केले के पेड़ के तने को छीला जाये तो पत्ते के नीचे पत्ता, फिर पत्ते के नीचे पत्ता और अंत में पूरा पेड़ खत्म हो जाता है लेकिन कुछ नहीं मिलता | उसी प्रकार इंसान ने अपने आपको भी जातियों छुट अछूत वर्गो में बांट दिया है | इन जातियों के विभाजन से इंसान अलग-अलग बंट जाता है जिसके फलस्वरूप अंत में इन्सान और इंसानियत भी खत्म हो जाती हैं लेकिन समाज को विभाजित करने वाली जाती खत्म नहीं होती है | परमात्मा के बिना मानव का भी कोई अस्तित्व नहीं है अज्ञानता के हटते ही मानव आत्मा-परमात्मा का मार्ग जान जाता है | तब परमात्मा और मनुष्य में कोई भेदभाव वाली बात नहीं होती |

“भगवान ने इन्सान को बनाया है, न कि इंसान ने भगवान को।” हर इन्सान भगवान द्वारा बनाया गया है और सभी का धरती और प्रकृति पर समान अधिकार है | जिस समाज में विद्या और बुद्धि का अभाव है और जहां अज्ञानता है, ऐसा समाज कभी भी उन्नति नहीं कर सकता है इसलिए सभी मानवों को विद्या और ज्ञान को अर्जित करना चाहिए |

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