भगवान परशुराम Part 2

dr. j k garg
सनातन धर्ममें परशुराम के बारे में माना जाता है कि वे त्रेतायुगऔर द्वापर युग से अमर हैं | परशुरामजी के जन्म के जन्म एवं जन्मस्थान के पीछे कई मान्यताएं एवं अनसुलझे सवाल है | सभी कीअलग अलग राय एवं अलग अलग विश्वास हैं | भार्गव परशुराम कोहाइहाया राज्य,जोकि अब मध्य प्रदेश के महेश्वर नर्मदा नदी के किनारे बसा है, वहाँ का तथा वहींसे परशुराम का जन्म भी माना जाता है | अन्य मान्यता के अनुसार रेणुका तीर्थ पर परशुराम के जन्म के पूर्व जमदग्नि एवंउनकी पत्नी रेणुका ने शिवजी की तपस्या की थी उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिवजी नेवरदान दिया और स्वयं विष्णु ने रेणुका के गर्भ से जमदग्नि के पांचवें पुत्र के रूपमें इस धरती पर जन्म लिया | उन्होंने अपने इस पुत्र का नाम “रामभद्र” रखा | परशुराम जी ने शिवजी को प्रसन्न करने के लियेअनेक बार तपस्या पूजा अर्चना की थी |शिवजी ने परशुराम को वरदानदेते हुए कहा कि परशुराम का जन्म धरती के राक्षसों का नाश करने के लिए हुआ है | इसलिएभगवान शिव ने परशुराम को, देवताओं के सभी शत्रु, दैत्य, राक्षस तथा दानवोंको मारने में सक्षमता का वरदान दिया | हिन्दूधर्म में विश्वास रखने वाले अनेक ज्ञानी, पंडितो केमतानुसार धरती पर रहने वालों में परशुराम और रावण के पुत्र इंद्रजीत को ही सबसेखतरनाक,अद्वितीयऔर शक्तिशाली अस्त्र – ब्रह्मांड अस्त्र, वैष्णव अस्त्र तथापशुपति अस्त्र प्राप्त थे |·

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