समाजवाद के प्रणेता अहिंसावादी अग्रवंशी सम्राट महाराजा अग्रसेन part 3

dr. j k garg
भगवान शिव और माता लक्ष्मी की आराधना यहाँ यह स्मरण रखने वाली बात है कि महाभारत के युद्ध केकारण जन धन की बहुत तबाही हुई थी इसलिए अपने राज्य की खुशहाली के वास्ते महाराजाअग्रसेन ने काशी जाकर भगवान शिव की कठोर तपस्या की जिससे खुश हो कर भगवान शिवजी नेउन्हें दर्शन दिया और उनको आदेश दिया कि वे महालक्ष्मीजी की पूजा और ध्यान करे | अग्रसेन ने महालक्ष्मी की पूजा आराधना शुरू कर दी | माँ लक्ष्मीने उनकी परोपकार हेतु की गई तपस्या से खुश होकर उन्हें दर्शन दिए और आदेश दिया किवे अपना एक नया राज्य बनायें और क्षत्रिय परम्परा के स्थान पर वैश्य परम्परा अपनालें | माता लक्ष्मीने उन्हें आशीर्वाद दिया कि उनके और उनके अनुयायियों को कभी भी किसी चीज की कमीनहीं होगी , वे सभी सदेवसुख सुविधा युक्त जीवन व्यापन करगें। लक्ष्मी माता का आदेश मान कर अग्रसेन महाराजने क्षत्रिय कुल को त्याग वैश्य धर्म को अपना लिया, इस प्रकार महाराजा अग्रसेन प्रथम वैश्य सम्राट बने | अग्रोहा शहर का जन्म देवी महालक्ष्मी से आशीर्वाद प्राप्त करने के बाद राजाअग्रसेन ने नए राज्य की स्थापना एवं उस राज्य की राजधानी के चयन हेतु रानी माधवीके साथ भारत का भ्रमण किया, अपनी यात्रा के दौरान वे एक जगह रुके जहाँ उन्होंने देखाकि कुछ शेर और भेड़िये के बच्चे साथ खेल रहे थे | राजा अग्रसेन ने रानी माधवी से कहा के ये बहुत ही शुभदैवीय संकेत है है जो हमें इस पुण्य भूमि पर हमारे राज्य की राजधानी को स्थापितकरने का इशारा कर रहा है | ऋषि मुनियों और ज्योतिषियों की सलाह पर नये राज्य का नामअग्रेयगण रखा गया जिसे कालान्तर में यह स्थान अग्रोहा नाम से जाना गया। अग्रोहाहरियाणा में हिसार के पास हैं। आज भी यह स्थान अग्रवाल समाज के लिए तीर्थ स्थान केसमान है। यहां भगवान अग्रसेन, माता माधवी और कुलदेवी माँ लक्ष्मी जी के भव्य औरदर्शनीय मंदिर है |

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