समाजवाद के प्रणेता अहिंसावादी अग्रवंशी सम्राट महाराजा अग्रसेन part 4

dr. j k garg
समाजवाद के प्रेरणतामहाराजा अग्रसेन जी के राज्य में यह परंपरा थी कि जो भीव्यक्ति या परिवार उनके राज्य में आकर बसता था, अग्रोहा केसभी निवासी नवागंतुक नागरिक को सम्मान और स्वागत के रूप में एक रुपया और एक ईंटभेंट करते थे। कहा जाता है कि उस समय अग्रोहा में लगभग एक लाख से अधिक परिवार बसतेथे। इस प्रकार उनके राज्य में आने वाला हर नागरिक एक लाख रुपये तथा एक लाख ईंटोंका स्वामी बन जाता था। इन रुपयों से वह अपना व्यवसाय प्रारम्भ कर लेता था वहींईंटों से अपना खुद का मकान बना लेता था। यही परंपरा समाजवाद की ही मिसाल हैनिसंदेह अग्रसेन जी ने विश्व में सबसे पहले समाजवादी राष्ट्र की स्थापना की थी | पशु बलि बंद करने वाले प्रथम सम्राट कुलदेवी मातालक्ष्मी की कृपा से भगवान अग्रसेन के 18 पुत्र हुये।राजकुमार विभु उनमें सबसे बड़े थे। महर्षि गर्ग ने भगवान अग्रसेन के 18 पुत्र के साथ18 यज्ञ करने कासंकल्प करवाया। उन दिनो यज्ञों में पशुबलि दी जाती थी। जिस समय 18 वें यज्ञ मेंजीवित पशुओं की बलि देने की तैयारी की जा रही थी उस वक्त एक घोडा बली के लिए लायागया | महाराजअग्रसेन ने देखा कि घोड़े की निरीह आँखों से अविरल आंसू बह रे थे और वो निरीह पशु यज्ञ की वेदीसे दूर जाने और वहां से भागने की कोशिश कर रहा था | इस दृश्य कोदेख कर महाराज अग्रसेन का दिल दया से भर गया और वे आहत भी हुए | उन्होंनेसोचा कि ये कैसा यज् है जिसमें हम मूक जानवरों की बलि चढ़ाते है ? महाराजाअग्रसेन ने पशु वध को बंद करने के लिये अपने मंत्रियों के साथ विचार विमर्श कियाऔर अपने मंत्रिमंडल के विचारों के विपरीत जाकर उन्हें समझाया कि अहिंसा कभी भीकमजोरी नहीं होती है बल्कि अहिंसा तो एक दूसरे के प्रति प्रेम और अपनापन जगाती है| महाराजाअग्रसेन ने तुरंत प्रभाव से मुनादी करवा दी की उनकेराज्य मे कभी भी कोई हिंसा औरजानवरों की हत्या नहीं होगी | अग्रसेन जीअहिंसा परमो धर्म का संदेश देने वाले प्रथम महाराजा बन अहिंसा का संदेश उन्होंनेभगवान बुद्ध और भगवान महावीर के अहिंसा के संदेश से 2500 साल पहले देदिया था |

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