
आजकल नेताजी उर्स में चादर चढा रहे है। कभी प्रधानमंत्री की, कभी सरकार की, कभी विपक्ष की,……ये अलग बात है ! कि इन दिनों दिल्ली में उन पर पता नही कौन – कौन सी, कैसी – कैसी, चादर चढं रही है। पर अपने नेताजी अजमेर में उनके नाम की , उनके नाम पर चादर चढा रहे है । जनता के साथ जाकर चढा रहे हैl जनता जानती है उसे भी मौका मिलेगा जब वे चादर चढंएगी , पर फिलहाल नेताजी कि बारी है । चादर चढाने के लिए मंत्रियो , संन्त्रियो जन्त्रियो के जत्थे पहुच रहे है …. चादर के साथ फोटो अखबार में छप रही है क्यौकि उन्हें पता है चादर का फोटो अखबार में नही तो कल उन की फोटो पर चढी चादर वाला अखबार छप जायेगा ।
अजमेर का सौभाग्य है…. कि बडें – बडें नेता , राजनायिक , मंन्त्री , अफसर, चादर चढाने के बहाने ही सही अजमेर आते है और ख्वाजा के रहम – करम से मौका पडते ही अपनी चादर बिछा भी लेते है । हम सब को अपने मामलात मंन्त्री का मामला पता है कि उन्होंने कैसे चादर चढाई , फैलाई और फिर बिछाई , ऐसी बिछाईकि दुसरो को मुहं ढकने तक की चादर नही मिल रही है। फिर ये चुनाव का वर्ष है, चादर के साथ चादर के लिए धक्का – मुक्की हो रही है … बेचारी चादर लगभग फटने के कगार पर है क्यौकि ज्यादातर लोग चादर देखकर पैर नही फैला रहे है बल्कि खुद फैल रहे है …
लेकिन अभी तो .. नेताजी चादर चढा रहे है अगर उन की ये मुराद पूरी हो गई तो ठीक है वरना उन पर अपने आप चादर चढ. जाएगी।
-रासबिहारी गौड