एक दीपक

deepakसमग्र समाज को दीपावली की लाख-लाख बधाइयां। दीपावली हमें एक दीपक जरूर प्रज्वलित करने का संदेश दे रही है। भलेशक आज के जमाने मंे बिजली और जेनरेटर जैसे संसाधन रोशनी के लिए मुहैया हैं। भलेशक प्रत्येक व्यक्ति लखपति-करोड़पति है मगर मानवीयता के लिए जज्बा भी जिंदा रहना जरूरी है। जीवन और प्राणियों के लिए दया भावना हजारों वॉट के बल्वों की रोशनी से अधिक जीवन को रोशन करती है। वक्त आने पर आलीशान अट्टालिकाओं की चमक दमक एक दीपक की रोशनी के आगे फीकी पड़ जाती है।
एक दीपक – आलीशान महल में राजा-रानी का बड़ा और सुसज्जित कक्ष रोशन फानूस से चमक रहा था। फानूस इतरा कर अपने तले में धूल से सने मिट्टी के दीपक को चिढ़ा रहा था। दीपक अपनी चिर परिचित सादगी से अपने तेल और बाती को सदैव मुस्तैद रहने का सबक सिखा और वक्त पर काम आने की हिदायत दे रहा था। बाहर आंधी-बरसात आ रही थी और इस वजह से घुप अंधेरा भी था। रानी ने राजा को कहा – कोई दास-दासी आस पास नहीं है। बुलाने पर भी नहीं आ रहा। मुझे बाहर टंगा हुआ मैना का पिंजरा अंदर मंगवाना है। आप फानूस उठा कर रोशनी में पिंजरा उठा कर ले आओ। फानूस ने राजा के लिए रानी का यह निर्देश सुना तो घमंड से दीपक को दिखा दिखा कर और अधिक मटकने लगा। इतराने लगा। फानूस ने कहा – देख दीपक… मिट्टी के दीपक… मुझे राजा अपने हाथों मंे संभाल कर उठा कर घुमाएगा। तू बेचारा यहां कोने में पड़ा रह। दीपक ने कोई जवाब नहीं दिया मगर तेल-बाती को आश्वस्त करता रहा। दिलासा देता रहा। रानी की फरमाईश सुन राजा फानूस की ओर बढ़ा मगर ये क्या… राजा ने तो फानूस को देखा तक नहीं बल्कि खुद झुक कर दीपक को उठाया और अपने हाथों से झाड़-पोंछ कर हथेली में संभाला। रानी से बोला – इतना भारी फानूस… इसे यहीं पड़ा रहने दो। राजा ने तेल में डूबी बाती को प्रज्वलित किया और दीपक को सहेजता हुआ बाहर जाकर मैना के पिंजरे को उठा लाया। सामने आई मैना से बात कर रानी बहुत प्रसन्न हुई और राजा से बोली – रात गहरा गई है। फानूस को बुझा कर इस रोशन दीपक को मेरे पलंग के सिरहाने की तरफ मैना के पिंजरे के पास संभाल कर रख दीजिए। फानूस की तेज रोशनी हमारी नींद में खलल डालेगी लेकिन दीपक अपनी शांत और सुकून देने वाली रोशनी फैलाता रहेगा। मैना और हम सुख चैन से सकेंगे।
मैना संसार के भांति भांति के प्राणियों की प्रतिनिधि पात्र है। फानूस आधुनिक संसाधनों का नेतृत्व करता है। राजा-रानी इस संसार के व्यक्तियों के प्रतिरूप है। आंधी-बरसात समय बदलने पर सामने आने वाले हालात हैं। इन सभी से अधिक महत्व रखने वाला है एक दीपक। उठो, जागो तो अपनी इस मातृभूमि को संवारें। एक दीपक प्रज्वलित करने का अर्थ किसी बालक को शिक्षा दिलाना। किसी जरूरतमंद की मदद करना। किसी को प्रोत्साहित कर उसके लक्ष्य की ओर अग्रसर करने में सहयोग करना सहित मानवीयता के लिए कोई भी एक काम कर अपने समाज, अपने शहर, राज्य, राष्ट्र और विश्व के लिए एक दीपक प्रज्वलित करना हो सकता है।
– मोहन थानवी
00000000000000000000000000000000000000000000000
( मूल सिंधी में )
ड्यारीअ ते खास – हिकु डिओ
सुजागु सिंधी समाज खे ड्यारीअ जूं लख लख वधाइयूं। ड्यारी असांखे हिकु डिओ जरूर बारण जो संदेशु डई रही आहे। भलेशकु अजु जे जमाने में बिजली ऐं जेनरेटर जा संसाधन रोशनी लाइ आहिनि। भलेशकु हरेकु माण्हूं लखापति करोड़ेपति आहे पर मानवीयता लाइ जज्बो बि जिंदह रहिणु जरूरी आहे। जीवनि ऐं प्राणिनी लाइ दया भावना हजारें वॉट जे बल्बनि जी रोशनीअ खां वधारे जीवन खे रोशन कंदी आहे। वक्ति पवण ते महलातनि जी चमक दमक हिक डिअे जी रोशनीअ अगिया फिकी थी वेंदी आहे।
हिकु डिओ – आलीशान महल में राजा-राणीअ जो वडो रूम फानूस सां चिमकी रह्यो हो। फानूस इतिराये करे पहिंजे हेठां धूरु में भरियलि मिट्टीअ जे डिअे खे चिड़ाये पयो। डिओ सादगीअ सां पहिंजे तेल ऐं वटि खे हमेशह मुस्तैद रहिण जो सबक सेखारे वक्ति ते कमु अचण जी हिदायत पयो डे। बाहिरु आंधी-मीहुं जे करे उंधाई हुई। राणीअ राजा खे चयो, को बि दास-दासी नजर कोन थो अचे। मूखे बाहिरु टंगयलि मैना जो पिंजरो अंदरु घुराइणो आहे। तव्हां फानूस खणी रोशनाईअ में पिंजरो खणी अचो। फानूस बुधो त घमंड सां डिअे खे डिखारे-डिखारे मटकण लगो ऐं चयांईंसि – डिसु, मूखे राजा पाण पहिंजे हथनि में संभारे खणी घुमाइंदो। तूं हिति कुंड में निधणको वेठो हुज। डिअे को जवाबु कोन डिनो ऐं तेल-वटि खे दिलासा डिंदो रह्यो। राणीअ जी फरमाईश बुधी राजा फानूस डाहुं वयो लेकिन फानूस खे निहार्यांई बि न। पाण झुकी डिओ खयांई ऐं पहिंजे हथनि सां छंडे उघी करे डिअे खे तिरीअ में संभारे खणी रोशन करे बाहिरु वयो ऐं मैना जो पिंजरो खणी आयो। मैना सां गाल्हाये राणी डाढ़ी खुश थी ऐं राजा खे चयांई – राति घणी थी वई आहे, फानूस विसाये करे इनि रोशन डिअे खे मुंहिंजे पलंग डाहुं मैना जे पिंजरे सां गडु ठाहे रखो। फानूस असांजी निंड में खललु विझंदो पर डिओ शांति ऐं अमन जी रोशनाई फइलाइंदो रहिंदो। मैना ऐं असां सुख चैन जी निंड करे सघंदा से।

मोहन थानवी
मोहन थानवी

मैना संसार जे तरहां तरहां जे प्राणिनी जी प्रतिनिधि आहे। फानूस आधुनिक संसाधन जो नेता। राजा-राणी इनि संसार जे माण्हूंनि जा प्रतिरूप। आंधी-मीहंु वक्ति मटजण ते साम्हूं अचण वारा हालात। ऐं इननि सभिनी खां वधारे महताव रखण वारो हिकु डिओ। उथो जागो त पहिंजी इनि सिंधु खे ठाह्यूं। हिकु डिओ बारण जा माइना कहिं बार खे शिक्षा डेराइणु। कहिं जरूरतमंद जी मदद करणु। कहिं खे हिमथाये उनिजी मंजिल डाहुं वधण में सहकारु डिअणु समेत मानवीयता लाइ को बि हिकु कम करे पहिंजे समाज, पहिंजे शहर, राज्य, राष्ट्र ऐं विश्व लाइ हिकु डिओ बारण थी सघंदो आहे। – मोहन थानवी
( यह रचना सिंधु केसरी जोधपुर, सुजागु सिंधी बीकानेर सहित चुनिंदा सिंधी पत्र-पत्रिकाओं में सिंधी में प्रकाशित हो चुकी है )

error: Content is protected !!