हिन्दी को मन से अपनाएं-चौरसिया

हिन्दी दिवस गोष्ठी में हुई चर्चा
IMG_20140914_174147अजमेर / हिन्दी भाषी लेखकों और आमजन के लिए यह गर्व की बात है कि आज हिन्दी का व्यापक उपयोग देशभर में हो रहा है। आज हिन्दी टेलीविजन, कम्प्यूटर, विज्ञापन और अन्तर्राष्ट्रीय बाजार की प्रमुख भाषा बन रही है। अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य का हिन्दी में अनुवाद तो हो रहा है किन्तु हिन्दी साहित्य का अन्य भाषाओं में अनुवाद तुलनात्मक दृष्टि से कम हो रहा है। अन्तर्भारती साहित्य एवं का परिषद् द्वारा आयोजित हिन्दी दिवस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए साहित्यकार उमेश कुमार चौरसिया ने कहा कि हिन्दी का भला तभी हो सकता है जब हम इसे मन से अपनाएं। शिक्षाविद् डॉ अनन्त भटनागर ने कहा कि भाषाएं आपस में नहीं लड़तीं, उन्हें बोलने वाले लोग लड़ते हैं। भाषाएं परस्पर सहचर बनकर ही विकास कर सकती हैं, इसलिए हिन्दी को भी अन्य भाषाओं से दुराव न रखकर उन्हें साथ लेते हुए आगे बढ़ना होगा। बालकवि गोविन्द भारद्वाज ने मेरे हिन्द की हिन्दी सरताज दुनिया की कविता सुनाई तथा गोष्ठी का संचालन कर रहीं डॉ अरूणा माथुर ने हिन्दी के विकास में हिन्दी के शिक्षकों की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। संस्था अध्यक्ष अनिल गोयल ने विश्वभर में प्रसिद्ध हिन्दी लेखकों के बारे में बतायां डॉ हरीश गोयल ने हिन्दी की विज्ञान कथाओं को मिल रही प्रतिष्ठा की चर्चा की और श्रीमती लक्ष्मीदास अंग्रेजीयत के दुष्प्रभावों पर चिन्ता व्यक्त की। गोष्ठी में विष्णुदत्त शर्मा ने हिन्दी को प्रशासन और सरकार की भाषा बनाने पर जोर दिया तथा कल्याणराय ने कविता के माध्यम से हिन्दी के महत्व को बताया। संस्था अध्यक्ष अनिल गोयल ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर अभिनव प्रकाशन द्वारा हिन्दी के साहित्यकारों की उत्कृष्ट प्रदर्शनी भी लगाई गई जिसे सभी ने सराहा।

अनिल गोयल
अध्यक्ष
अन्तर्भारती साहित्य एवं कला परिषद्

error: Content is protected !!