नाजिम को एक ही दिन में वापस लेना पड़ा

Dargaahअजमेर स्थित विश्व प्रसिद्ध ख्वाजा साहब की दरगाह में आंतरिक इंतजाम करने वाली दरगाह कमेटी के नाजिम लेफ्टिनेंट कर्नल मंसूर अली ने 21 अप्रैल को एक आदेश जारी किया। इस आदेश में खादिमों की संस्था अंजुमन मोनिया फखरिया चिश्तिया और अंजुमन यादगार को निर्देशित किया गया कि दरगाह के मामूल यानी बंद होने के बाद रात के समय यदि कोई जायरीन इबादत के लिए रुकता है तो उसे पूर्व में दरगाह कमेटी की अनुमति लेनी होगी इसके लिए नाजिम ने बाकायदा एक आवेदन पत्र भी जारी किया। अपने इस आदेश में नाजिम ने बताया कि ख्वाजा साहब की दरगाह सुरक्षा मानकों में ए ग्रेड की है। आदेश में स्पष्ट का गया कि दरगाह कमेटी की अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति दरगाह परिसर में रात्रि के समय नहीं रुक सकता है। नाजिम के इस आदेश का खादिम समुदाय ने कड़ा विरोध किया खादिमों के संस्था अंजुमन सैय्यद यादगार के सचिव वाहिद हुसैन अंगारा का कहना था कि दरगाह कमेटी को इस तरह के आदेश जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। रात्रि के समय दरगाह परिसर में जायरीन ही नहीं, बल्कि खुद भी इबादत करते हैं और यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। नाजिम को इस परंपरा को तोडऩे का कोई अधिकार नहीं है। खादिम समुदाय ने नाजिम के इस आदेश को मानने से साफ इनकार कर दिया। खादिमों के विरोध को देखते हुए 22 अप्रैल को ही नाजिम लेफ्टीनेंट कर्नल मंसूर अली को अपना आदेश वापस लेना पड़ा। अपने नए आदेश में नाजिम ने कहा है कि अब किसी भी आदमी अथवा जायरीन को रात्रि के समय रुकने के लिए किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं लेनी होगी। अलबत्ता नशेडिय़ों और संदिग्ध व्यक्तियों को रात्रि के समय दरगाह परिसर में रहने नहीं दिया जाएगा। नाजिम मंसूर अली ने जिस तरह से अपना आदेश एक ही दिन में वापस लिया, उसमें यह माना जा रहा है कि दरगाह कमेटी की वजह से फजीहत हुई है। दरगाह परिसर के अंदर कोई भी निर्णय खादिम समुदाय की सहमति से ही लागू किया जा सकता है, लेकिन 21 अप्रैल को आदेश जारी करने से पहले नाजिम ने खादिम समुदाय को भरोसे में नहीं लिया।
एस.पी.मित्तल

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