अजमेर स्थित एमडीएस यूनिवर्सिटी के वीसी के.सी.सोढाणी ने कहा है कि जो आईएएस अफसर जानवरों के महकमे के प्रभारी होते हैं, उन्हीं को शिक्षा विभाग का प्रभारी बना दिया जाता है। ऐसे आईएएस अफसरों की वजह से ही राजस्थान में उच्च शिक्षा की दुर्गती हो रही है। आमतौर पर ऐसे बयान कोई भी वीसी सेवा निवृत्ति के समय देता है, लेकिन सोढाणी ने ऐसा बयान तब दिया है, जब उन्हें एमडीएस यूनिवर्सिटी का वीसी बने मात्र तीन माह ही हुए हैं। सोढाणी कोई साधारण शिक्षाविद् नहीं है। सत्तारुढ़ भाजपा में महत्त्व रखने के कारण ही सोढाणी को प्रो. की सरकारी सेवा के रिटायरमेंट के बाद ही एमडीएस यूनिवर्सिटी का वीसी बनाया है। पिछले दिनों यूनिवर्सिटी में आयोजित एक समारोह में सोढाणी ने कहा था कि वे राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता कैलाश मेघवाल की कृपा से ही वीसी बने हैं। सोढाणी को शिक्षा के क्षेत्र में जो राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है। इसकी वजह से सोढाणी ने सार्वजनिक तौर पर दिलेरी दिखाई है। इसमें कोई दोराय नहीं कि सोढाणी का कथन बिलकुल सही है। शिक्षा विभाग का प्रभारी किसी आईएएस की बजाए शिक्षाविद् को ही बनाया जाना चाहिए। सोढाणी ने सभी शिक्षाविदों की पीढ़ा का इजहार किया है। अच्छा हो कि सोढाणी अपने राजनीतिक रसूकातों से अपनी दिलेरी को मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के सामने भी रखें, ताकि कम से कम भाजपा के राज में तो आईएएस के हाथों शिक्षा की दुर्गति न हो। ऐसा काम सोढाणी जैसा दिलेर शिक्षाविद् ही कर सकता है। (एस.पी.मित्तल)