शाहनी की राजनीति पर लगा बैरियर समाप्त

naren shahani 9एसीबी की अजमेर यूनिट की ओर से जमीन के बदले जमीन मामले में तत्कालीन नगर सुधार न्यास के पूर्व सदर नरेन शाहनी भगत को क्लीन चिट दिए जाने की जानकारी के साथ ही उनके राजनीतिक जीवन पर लगा बेरियर हट गया है। हालांकि जिस तरह से वे कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट पर आरोप लगा कर पार्टी से बाहर गए थे, उससे उनके यकायक वापस लौटने की राह आसान नहीं है, मगर संभव है अपने आका पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मदद से फिर प्रवेश पा सकते हैं।
असल में पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान उन पर राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा का दबाव था कि वे मामले से बचने के लिए कांग्रेस का साथ छोड़ दें। उन्होंने साथ तो छोड़ा, मगर ऐन चुनाव के वक्त सचिन पर आरोप लगाने की वजह से वे उनसे सदा के लिए दूर हो गए। असल में भाजपा यही चाहती थी कि तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी सचिन पायलट के लिए मुश्किल पैदा हो। रहा सवाल उनके भाजपा में शामिल होने का तो या तो वे खुद ही भाजपा में नहीं जाना चाहते थे या फिर भाजपा आरोपी नेता को पार्टी में लेना नहीं चाहती थी। बहरहाल, मामला लंबित होने के कारण उन्होंने भी राजनीति से पूरी तरह किनारा कर लियाद्ध अब जबकि वे आरोप से मुक्त होने की स्थिति में हैं तो उनके राजनीतिक कैरियर पर लगा बेरियर हट गया है। अब वे स्वतंत्र हैं कि भाजपा में जाएं या कांग्रेस में लौट आएं। संभव है भाजपा उन पर पार्टी में शामिल होने पर दबाव भी बनाए। हालांकि इस बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता, मगर ऐन नगर निगम चुनाव से पहले उनको क्लीन चिट मिलना यह संदेह तो पैदा करता ही है कि कहीं भाजपा उनका लाभ लेने के मूड में तो नहीं है। यूं उनको पार्टी में लाने से भाजपा को बहुत बड़ा फायदा नहीं है, क्योंकि भाजपा में पहले से कई सिंधी नेता मौजूद हैं। रहा सवाल उनको लाभ का तो आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा में तो उन्हें टिकट मिलना मुश्किल ही है, क्योंकि यहां की सीट का फैसला संघ करता है। एक तो वैसे ही लगातार तीन बार जीत कर प्रो. वासुदेव देवनानी ने धरती पकड़ रखी है, दूसरा यह सीट संघ के खाते में है, इस कारण यहां गैर संघी को टिकट मिलना मुश्किल ही होता है। हां, अगर कांग्रेस में जरूर सिंधी के नाते उन्हें फिर लाभ मिल सकता है, क्योंकि कांग्रेस में सिंधी कम हैं। ठीक वैसे ही जैसे किसी मुसलमान की जितनी तवज्जो कांग्रेस में नहीं होती, उतनी भाजपा में होती है।
खैर, वैसे अंदरूनी सूत्रों का मानना है कि आगामी माह में होने जा रही उनके बेटे की शादी होने तक वे राजनीति से दूर ही रहेंगे। उसी के बाद तय करेंगे कि करना क्या है। चूंकि वे अच्छे समाजसेवी और मिलनसार हैं, इस कारण खोयी प्रतिष्ठा हासिल करने में उन्हें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। बस अफसोस इस बात है कि जिस आरोप में उन्हें क्लीन चिट मिली है, उसने उनके जीवन में एक ऐसा मोड़ ला दिया था, जहां से उनका राजनीतिक कैरियर चौपट होने जा रहा था।
-तेजवानी गिरधर

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