कमलेश केशोट
राजस्थान भाजपा में इन दिनों सत्ता लोलुपता ओर चापलूसी चरम पर है. नेता अपने आकाओं के तलवे चाटने के लिए आए दिन बेतुके बयान देने से बाज नहीं आ रहे हैं. अभी हाल ही में भाजपा आलाकमान द्वारा वरिष्ठ नेता और विधायक घनश्याम तिवाड़ी को दिए गए नोटिस में उनने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल दिया. पलटवार में वसुंधरा के तीन मंत्रियों और एक सांसद ने तिवाड़ी पर बयानबाजी से हमला बोल दिया. अब वसुंधरा राजे की नज़रों में चढ़ने के लिए तिवाड़ी के खिलाफ बयानबाज़ी प्रदेश की राजनीति में शगल बन चुका है. नेता वसुंधरा की नज़रों में चढ़ने के लिए चापलूसी की तमाम सीमाएं लाँघ चुके हैं. हाल ही में अजमेर में ऐसा एक और मामला सामने आया है. अजमेर भाजपा देहात के जिलाध्यक्ष प्रो. बीपी सारस्वत चाटुकरिता की हदें पार करके घनश्याम तिवाड़ी को कांग्रेस की कठपुतली दे दिया.
उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेता तिवाड़ी को अपने गिरेबां में झाँकने की सलाह देते हुए यह तक कहा कि अपने कार्यकाल में उन्होंने कुछ नहीं किया. ब्राह्मणवाद का बखान करते हुए सारस्वत बोले कि सत्ता में रहते हुए तिवाड़ी ने ब्राह्मणों की सुध तक नहीं ली. अब वे ब्राह्मणवाद का दुरूपयोग कर रहे हैं. अब सवाल यह उठता है कि सारस्वत खुद सत्ताधारी पार्टी के संगठन के पदाधिकारी हैं. उन्होंने कितने ब्राह्मणों का भला कर दिया ? अगर ब्राह्मण हितों की सारस्वत को इतनी ही चिंता है तो अभी पिछले दिनों वे अपनी ही सरकार के मंत्री वासुदेव देवनानी के मामले में विरोध में खुलकर सामने क्यों नहीं आए ? उन्हें किसने हक़ दिया अपनी ही पार्टी के इतने वरिष्ठ नेता के खिलाफ बयानबाजी करें ? घनश्याम तिवाड़ी राजनीतिक कद और अनुभव में सारस्वत से काफी वरिष्ठ हैं. असल में सारस्वत अजमेर उत्तर या ब्यावर से टिकट के इच्छुक हैं. टिकट की लालसा में वे वसुंधरा की नजदीकी पाने के लिए इस तरह की बयानबाजी कर रहें हैं. संगठन से इतर वसुंधरा की उनकी चापलूसी भी जगजाहिर है.