आखिर नड्डा को राजस्थान क्यों भेजा

एस.पी.मित्तल
एस.पी.मित्तल

नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश हो रही थी, तब अमित शाह के साथ-साथ जे.पी.नड्डा का नाम भी उभर कर सामने आया। बाद में नड्डा को राष्ट्रीय महामंत्री बनाया गया और अब वो ही कद्दावर नेता जे.पी.नड्डा भाजपा के राजस्थान के प्रभारी बने हैं। असल में राजस्थान में भाजपा का ऐसा कोईनेता नहीं है, जो मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ बराबर में बैठकर किसी समस्या पर विचार कर सके। किसी नेता के सुझाव देने तक की हिम्मत नहीं है। इसलिए 9 माह गुजर जाने के बाद भी राजस्थान में भाजपा सरकार की कोई प्रभावी भूमिका सामने नहीं आई है। महत्त्वपूर्ण पद रिक्त पड़े हैं, तो अनिर्णय की स्थिति के चलते प्रशासनिक कामकाज भी ठप पड़ा है। यहां तक कि मंत्रिमंडल का विस्तार भी नहीं हो रहा है। राजनीतिक चर्चाओं में कहा जा रहा है कि वसुंधरा राजे प्रधानमंत्री और भाजपा के उच्चस्तरीय नेतृत्व से नाखुश है। सूत्रों के अनुसार राजस्थान मे भाजपा की सरकार सही तरीके से कार्य करे, इसलिए कद्दावर नेता नड्डा को प्रभारी बनाया गया है। नड्डा जी हजूरी वाले नेता नहीं है। नड्डा अब सीधे मुख्यमंत्री से ही संवाद कर सरकार को गति देने का भी काम करेंगे। यानि आने वाले दिनों में सरकार और संगठन में तालमेल देखने को मिलेगा। जहां तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी का सवाल है तो उनका होना और न होना बराबर है। परनामी मुख्यमंत्री के इशारे पर ही काम करते है। मुख्यमंत्री की सिफारिश से ही परनामी प्रदेश अध्यक्ष बने है। हो सकता है कि नड्डा के आने के बाद प्रदेश अध्यक्ष भी बदल दिया जाए और यदि फिर भी हालात नहीं सुधरे तो राजस्थान में जनभावनाओं के अनुरूप एक बड़ा बदलाव भी हो सकता है।
-एस.पी.मित्तल
लेखक अजमेर के जाने-माने पत्रकार हैं

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