तारकेश कुमार ओझा
उस रोज टेलीविजन पर मैं एक राजनेता का जन्म दिन उत्सव देख रहा था। लगा मानो किसी अवतारी पुरुष का जन्म दिन हो। नेताजी के बगल में उनका पूरा कुनबा मौजूद था। थोड़ी देर में मुख्यमंत्री से लेकर तमाम राजनेता उनके यहां पहुंचने लगे। दिखाया गया कि नेताजी ने अपने किसी शुभचिंतक को निराश नहीं किया। सभी के हाथों से फूलों का गुलदस्ता लिया। हालांकि कनखियों से यह भी दिखाई पड़ रहा था कि नेताजी इस सब से उकताए हुए से लग रहे थे। वे एहसान की मुद्रा में कथित शुभचिंतकों से फूल ले जरूर रहे थे, लेकिन लगे हाथ उनसे बगल हटने का इशाऱा भी करते जा रहे थे। केक काटने से लेकर मिठाई खाने – खिलाने और नेताजी के महिमामंडन के बाद कैमरे का फोकस बाहर की तरफ हुआ तो देखता हूं कि बाहर उल्लासित सम र्थक नाच – गा रहे हैं। कुछेक तो पटाखे फोड़ते हुए भांगड़ा भी कर रहे हैं। यह सब देख कर मैं सोच में पड़ गया कि आखिर ये कौन लोग हैं जिन्हें नामचीनों का जन्म दिन बकायदा याद रहता है। जन्म दिन के बहाने जो कुछ भी नजर आया उसे देख यह समझना मुश्किल नहीं था कि इसके लिए पूर्व तैयारियां की गई थी। अन्यथा इतना बड़ा आयोजन आनन – फानन नहीं हो सकता। राजनेताओं के जन्म दिन के मामले में उत्तर – दक्षिण का भेद मिटता जा रहा है। छात्र जीवन में दक्षिण के कुछ राजनेताओं के भव्य जन्म दिन के किस्से बहुत देखे – सुने थे। लेकिन हिंदी पट्टी में इसका चलन शायद 1990 से शुरू हुआ। जब राजनीति में आयाराम – गयाराम संस्कृति जोर पकड़ने लगी। राजा – महाराजाओं की तरह चरण वंदना करने वालों को उपकृत करने का सिलसिला शुरू हुआ। वैसे भव्य तरीके से जन्म दिन या पारिवारिक समारोह मनाने वाले वे अकेले राजनेता नहीं हैं जिन्हें टेलीविजन पर दिखाया जा रहा था। हिंदी पट्टी के ही एक और दिग्गज के गांव का महोत्सव अब राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतर राष्ट्रीय स्तर पर च र्चित होता जा रहा है। क्योंकि इसमें एक से बढ़ एक चमकते – दमकते सितारे शामिल होते हैं। इस आयोजन की जितनी आलोचना होती है, उसकी भव्यता दिनोंदिन बढ़ती ही जा रही है।लेकिन ताकतवर तबके के जन्म दिन या व्यक्तिगत समारोह की भव्यता और इसमें नजर आने वाले कथित शुभचिंतकों का सम र्पण मुझे वास्तविक नहीं लगता। क्योंकि आज के दौर में लोग अपनों का जन्म दिन या अन्य खास अवसर ही ही याद नहीं रखते। यदि ताकतवर तबके को याद रखा जाता है तो निश्चय ही इसके पीछे उनका स्वार्थ या अति भक्ति दिखाने की मानसिकता काम करती है।
