मोदी जी, बधाई हो !.किन्तु…

रास बिहारी गौड़
रास बिहारी गौड़
निश्चित रूप से सर्जिकल ऑपरेशन के बाद हमारी सेना और सरकार का मनोबल बढ़ा है। जो कुछ किया उस के लिए प्रधानमंत्री की जितनी प्रसंशा की जाए कम है। किन्तु प्रसंशा के अतिरेक में पूर्ववर्ती सरकारों के हर कदम को गलत सिद्ध करने की होड़ या फिर अपने हित में राजनैतिक दोहन उचित नहीं लगता।
यह सच है कि भारत ने अपनी कूटनीति एवम् सामरिक क्षमता से इस प्रकार का सार्वजानिक ऑपरेशन पहली बार किया है( पूर्व में मनमोहन सिंह सरकार ने भी किया था किन्तु सार्वजानिक नहीं किया था)। साथ ही ये भी सच है कि सैन्य-अड्डों से लेकर सैनिको -शिविरों पर सामूहिक आक्रमण भी पहली बार ही हुए हैं। जनता में आक्रोश था। देश आहात और ठगा सा महसूस कर रहा था। विशेषकर तब ,जब पिछले चुनावी समर में कुछ अतिउत्साही नारे गढ़े गए हो। अतः विवेक एवम् शौर्य से परिपूर्ण निर्णय, जो कि इन परिस्थितियों में कोई भी सरकार लेती, के साथ प्रधानमंत्री जी ने एकदम अपेक्षित कदम उठाया। साथ ही आंतरिक राजनीती को विश्वाश में लेकर भी सकरात्मक दृष्टिकोण अपनाया।
सब कुछ ठीक-ठाक होने के बावजूद अपने वैध कर्तव्य को उन्माद बनाकर प्रचारित करना सरकार के लिए आत्मघाती हो सकता है। अपेक्षाओं का उभार किसी युद्ध की पीठिका भी लिख सकता है । स्वम पर गर्वित होना अच्छी बात है , किन्तु आत्म- मुग्ध चेहरा दर्पण का गुलाम होता है। भारत में चाहे जिसकी सत्ता रही हो हमने बड़े- बड़े युद्ध जीते हैं। सामरिक रणनीतियाँ बनाई हैं। कई मोर्चो पर विश्व का नेतृत्व किया है। परिवर्तन समय का सबसे बड़ा सत्य है। इतिहास को नकार कर वर्तमान गढ़ने की चाह भविष्य की आहटों से अन्जान होती है। इसलिए हमारे सत्ता- शिखरों के कर्तव्य- बोध पर उसकी पीठ थपथपाने का ये मतलब कभी नहीं होना चाहिए कि हमे उनके आंकलन या आलोचना का अधिकार नहीं रहा। फिर आखिरी मूल्यांकन तो समय करता ही है। नेहरूजी, शास्त्रीजी, इंदिरा जी ,राजीवजी, नर्सिहरावजी, अटलजी ,या मनमोहन जी सभी ने अपनी- अपनी सामर्थ्य से देश को दिशा दी है, जिसकी बदौलत आज हम इन ऑपरेशन को कामयाब बना पा रहे हैं। उस विरासत को कोई सरकार केवल अपने अकेले के खाते में दर्ज नहीं करा सकती। ये गौरव देश की समग्र- सामर्थ्य का परिणाम है।
हाँ, वर्तमान सत्ता, अर्थातकि मोदी जी का नेतृत्व, बधाई एवम् प्रशंसा के पात्र है कि उसने अपने कर्तव्य का सही पालन किया। भविष्य में भी यही उम्मीद रहेगी, वरना जनता तो जनता है जिसे दुर्गा कहती थी उसे भी जमीन चटा दी थी।
रास बिहारी गौड़
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