सरकार को आम आदमी के अंदर जीवन सुरक्षा पर ध्यान देना चाहिए

-1 नवम्बर मध्य प्रदेष स्थापना दिवस पर विशेष-

संतोष गंगेले
संतोष गंगेले

आजादी के बाद भारतीय संविधान को 26 जनवरी 1950 से भारत देष में प्रभावषील किया गया । इस संविधान के अधिकारों के तहत ही महारे देष के महापुरूषों एवं राज नेताओं ने देष के विकाष करने के लिए अलग अलग राज्यों की स्थापना की । जिसमें मध्य प्रदेष की स्थापना 1 नवम्बर 1956 को हुई । 1 नवम्बर 1956 को मध्य प्रदेष के प्रथम राज्यपाल के रूप में श्री बी.पट्टामि सीतारमैया को प्रदेष का प्रभार दिया गया साथ ही इसी तारीख को प्रदेष के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में पं0 श्री रविषंकर षुक्ल को मनोनीत किया गया । जब प्रदेष की बागडोर राज्यपाल, मुख्यमंत्री मनोनीत हुए उसी दिन प्रदेष के मुख्य सचिव एच.एस. कामथ ने प्रदेष की सरकार चलाने के लिए प्रदेष में एक साथ प्रषासनिक अधिकारियों का गठन कर जनता को प्रजातंत्र की पहली सरकार के रूप में न्याय प्रदान कराने की प्रक्रिया को सविधानिक कानूनी अधिकारों का विभाजन किया ।

मध्य प्रदेष सरकार ने प्रदेष के विकाष के लिए अपनी रणनीति के अनुसार आम जनता को न्याय प्रदान कराये जाने के साथ-साथ कानून व्यवस्था को सही व दुरस्त रखा । आम जनता में कानून के प्रति भय था तथा एक दूसरे के प्रति उदारता, मानवता, संवेदनायें थी । समय के साथ प्रदेष का विकाष हुआ । आर्थिक स्थिति आम आदमी की ठीक न होने के कारण भारत सरकार एवं प्रदेष सरकारों ने मिलकर कृषि प्रधान भारत के हृदय स्थली मध्य प्रदेष में सैकड़ों योजनाऐं लागू कराई तथा प्रदेष के किसानों, व्यापारियों , उद्योग पतियों को संरक्षण देकर प्रदेष के विकाष में अहम भूमिका अदा की है । मध्य प्रदेष सरकार में होने वाले चुनाव में आस्था के कारण कॉग्रेस पार्टी की ही सरकारें बनती रही , समय के परिवर्तन के अनुसार 1 नवम्बर 1956 से 29 अप्रेल 1977 तक राजनैतिक दल के नेताओं ने मुख्यमंत्री के रूप में षासन किया । सन् 1977 में भारत सरकार की नीति के कारण सरकार गिरने लगी जिस कारण 30 अप्रेल 1977 से राष्ट्रपति षासन लागू हुआ, जो 25 जनू 1977 तक प्रभावषील रहा है । कॉग्रेस की नीति के विरूध्द पहली सरकार श्री कैलाष चन्द्र जोषी के नेतृत्व में 26 जून 1977 को गठित की गई उस समय प्रदेष के राज्यपाल श्री सत्यनारायण सिन्हा थें । मध्य प्रदेष में पहली वार परिवर्तन होने के बाद प्रदेष में मुख्य मंत्री बदलने की प्रक्रिया हुई । जिसमें श्री कैलाषचन्द्र जोषी सात माह तक ही मुख्यमंत्री रह सकें उसके बाद 18 जनवरी 1978 को श्री बीरेन्द्र कुमार सखलेचा जी को मुख्यमंत्री बनाया गया । श्री बीरेन्द्र कुमार सखलेचा ने प्रदेष के युवाओं को अनेक सौगाते दी तथा ्रपदेष में अनेक परिवर्तन कर अपना नाम इतिहास में बनाने का प्रयास किया लेकिन इसी बीच 20 जनवरी 1980 को प्रदेष के मुख्यमंत्री को बदल कर श्री सुन्दर लाल पटवा को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन दो माह बाद ही पुनः राष्ट्रपति षासन लागू हो जाने के कारण कानून व्यवस्था ढीली हो गई । भारतीय इतिहास में भारतीय जनता पार्टी का उदय हो होने के कारण प्रदेष में भाजपा ने अपनी अहम भूमिका अदा की तथा कॉग्रेस सरकार के विरूध्द जन अभियान जारी रखा ।

कॉग्रेस सरकार ने अपनी गल्तियों को सुधार कर जनता के बीच पुनः अपना स्थान बनाया जिसमें श्री अर्जुन सिंह ने मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभाली 5 साल षासन किया । दूसरी बार चुनाव जीतने के बाद संसदीय दल के नेता चुने जाने के बाद पार्टी ने उन्हे पंजाव का राज्यपाल बनाया । मध्य प्रदेष की बागडोर श्री मोती लाल बोरा को दी गई । इस प्रकार मुख्यमंत्रियों को बदने में कॉग्रेस भी पीछे नही रही । प्रदेष के अंदर कॉग्रेस से श्री दिग्बिजय सिंह ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिन्होने 7 दिसम्बर 1993 से मुख्यमंत्री पद की ष्षपथ लेने के बाद 8 दिसम्बर 2003 तक लगातार दस सालों तक एक तरफा राज्य किया । लेकिन समय व परिस्थितियों के बीच कॉग्रेस की नीतिओं से प्रदेष की जनता नाराज हो गई, बिजली के बिल, बिजली की आर्पूिर्त, मॅहगाई के कारण जनता ने सरकार बदल कर सुश्री उमा भारती को मुख्यमंत्री चुना । सुश्री उमा भारत ने अपने डेढ़ साल के कार्यकाल में अपनी छवि बनाई तथा प्रदेष के लोगों को न्याय व सुरक्षा देने का पूरा प्रयास किया । लेकिन राजनैतिक उठा पटक, पार्टी के नियमों के चलते उन पर कई गंभीर आरोप लगे । एक मामले में वह न्यायालय जाने के लिए अपना प्रभार श्री बाबू लाल जी गौर को देकर कर्नाटक रवाना हुई । लेकिन श्री बाबू लाल जी गौर केवल सवा साल तक ही सरकार चला सकें । प्रदेष में भाजपा की गिरती साख को बचाने केलिए भाजपा ने अपना मुख्यमंत्री बदल कर श्री षिवराज सिंह चौहान को प्रदेष का मुख्य मंत्री का प्रभार सौपा । श्री षिवराज सिंह चौहान 29 नवम्बर 2005 से आज तक लगातार ऐसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री हो गये जिन्होने सरकार की छवि बरकारा रखी तथा अपनी कुर्सी को भी किसी भी प्रकार की ऑच नही आने दी है । श्री षिवराज सिंह चौहान एवं राज्यपाल श्री राम नरेष यादव की जोड़ी प्रदेष की जनता को हर तरह से सुख षॉति देने का प्रयास कर रही है । बर्तमान में मध्य प्रदेष के 51 जिले है ।
सरकार ने जनता से धीरे जुड़ने के लिए अनेक बेब साईटें भी जारी की हैं जिसके माध्यम से जनता की जन सुनवाई हो रही है । जमीनी कार्य में ईमानदारी एवं कर्तव्य निष्ठा की आवष्यकता है ।

बर्तमान प्रदेष सरकार को आम आदमी के अंदर जीवन सुरक्षा पर ध्यान देना चािहए । मध्य प्रदेष सरकार के मुख्यिा श्री षिवराज सिंह जी चौहान अपने कार्यकाल में आम आदमी के दुःखों को दूर करने का भरकस प्रयास कर रहे है । वह आम आदमी की समस्याओं को हल करने के लिए प्रषासन तंत्र पर लगातार कसाव किय हुए है । उसके बाद भी प्रदेष सरकार में कानून का पालन करने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों एवं प्रषासनिक अधिकारी अपनी मन मानी के लिए जाने जाते है । पुलिस प्रषासन के लचीलेपन कार्य के कारण अपराधों में अत्याधिक बृध्दि हो रही है । आज आम आदमी अपनी सुरक्षा के प्रति चिंतित है । इस प्रकार से मध्य प्रदेष के स्थापना दिवस पर मध्य प्रदेष की सरकार को इस प्रकार का संकल्प लेना चाहिए जिससे कि आम जनता, किसान, व्यापारी अपना सुखमय जीवन व्यतीत कर सके । प्रदेष सरकार व्दारा जो जनहित में बेब साईटें चालू की गई हैं उनकी मानिर्टिग (समीक्षा) प्रत्येक माह में सक्षम अधिकारियों के व्दारा की जानी चाहिए । जन कल्याणकारी योजनाओं को जन जन तक पहुॅचाने के लिए सरकार को समाजसेवी संगठनों, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग लेना चाहिए । ग्राम एवं रक्षा समितियों को सम्पूर्ण प्रदेष में सक्रिय करते हुऐ ऐसे सदस्यों को प्रोत्साहित करने एवं उन्हे परितोषिक मानदेय राषि भी दी जाना चाहिए । सरकार का दायित्व है कि सर्व प्रथम अपने राज्य की जनता की सुरक्षा करे, उसे भय मुक्त बनायें, दूसरा आम व्यक्ति के उपचार के साथ साथ षिक्षा के क्षेत्र में बच्चों को षिक्षित करने के सरल उपाय खोजे जाने चाहिए । रोटी , कपड़ा और मकान जब व्यक्ति के पास होगें तो वह सुखी जीवन जीने की कल्पना कर सकता है ।

1 नवम्बर मध्य प्रदेष स्थापना दिवस के 58 साल पूरे होने जा रहे है लेकिन अंग्रेजों की तानाषाही एवं कानून की कड़ी आज भी टूटी नही है । आम जनता सर्व प्रथम भय मुक्त होना चाहती है लेकिन समाज में व्याप्त अनेक मगर मच्छ ऐसे है जिनकी राजनैतिक पकड़ होने के कारण उनके व्दारा अपराध करने के बाद उनके विरूध्द पुलिस साक्ष्य नही जुटा पाती है । साक्ष्य के आभार में अदालतों से बरी हो जाने के कारण सभ्य व सामाजिक नागरिकों को ऐसे समजा विरोधी व्यक्तियों से खतरा रहता है, साथ ही उन्हे पार्टी या चुनाव के लिए उन्हे मजबूरी में नेताओं व गुण्डों का सहयोग करना होता है । प्रदेष की मुख्य आय के जो भी साधन है उनको प्रोत्साहित सरकार को करना चािहए । खनिज विभाग को बन विभाग की तरह षक्तिषाली बनाया जावें । खनिज विभाग नियमों में सषोधन कर निर्धारित दर से दस गुना जुर्माना लगाया जायें । बाहन कुर्क करने के नियम बनाऐ जावे । मध्य प्रदेष सरकार की आय का एक बड़ी राजस्व आय पंजीयन एंव मुद्रॉक विभाग हैं जिसमें सरलीकरण किया जाना चाहिए । पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग को ऑनलाईन करने की योजना स्वागत योग्य है । अवैघ कॉलोनियॉ में बहुत कुछ सुधार की भी आवष्यकता है । इस प्रकार राजस्व आय के स्त्रोत सरकार को खोजना चाहिए ।

मध्य प्रदेष स्थापना दिवस के इस षुभ अवसर पर गणेष षंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब मध्य प्रदेष एक संकल्प भारतीय संस्कृति एवं संस्कारों को बचाने के लिए सरकार को साथ देकर षिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, समरसता एवं समाज पर जन जागरण, जाग्रति अभियान षुरू करेगा । साथ ही यह संगठन मध्य प्रदेष के कर्तव्य निष्ठ ईमानदारी लगनषील अधिकारियों, कर्मचारियों, राजनैतिक नेताओं , पत्रकारों एंव समाजसेवी नागरिकों को साव्रजनिक सम्मान कर सरकार को प्रोत्साहन करने में अपनी अहम भूमिका अदा करेगा ।
-संतोष गंगेले-प्रान्तीय अध्यक्ष गणेषषंकर विद्यार्थी प्रेस क्लब मध्य प्रदेष

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