जैसे ही पीएम नरेंदर मोदी ने कल कोझीकोड मे कल कहा कि अगर पाकिस्तान के हुकमरान भारत से 1000 साल लड़ाई करना चहते है तो आज दिल्ली मे हमारी ऐसी सरकार है, जो इस चुनौती को मंजूर करती है। सुनकर सीना गर्व से फूल गया। मन बोला ऐसा होता है पीएम। उरी हमले के बाद देश के लीगों की भावनाएं और गुस्से को समझ्ते हैं। सोचने लगा अब मोदी पाकिस्तान पर बडी मार करेंगे। लेकिन अगले ही पल अवाक रह गया। जब मोदी ने गरीबी,बेरोजगारी, अशिक्षा, कुपोषण से लड़ाई लडने और पहले कौन जीतता है की चुनौती पेश कर दी। सोचा ये अचानक आतंकी हमले का जवाब चुनावी भाषण की गोलियों से क्यों देने लगे है? मोदी बोले, भारत उरी हमला कभी नही भूलेगा। तो क्या वो खुद पठानकोट, मुम्बई और कश्मीर मे आए दिन हो रहे हमले भूल गए। लोगो को तो अभी भी याद है। क्या हर नए हमके के बाद देश को पिछला हमला भुला देना चाहिए? अभी तो शायद यही हो रहा है। उन्होंने ये भी कहा की हम पाक को दुनिया में अलग थलग कर देंगे। पाक दुनिया को आतंकवाद एक्सपोर्ट कर रहा है। लेकिन ये कौन नहीं जानता। जो पहले ही नंगा हैं, उसे को नंगा करने से क्या फर्क पड़ेगा। क्या हमें ये उमीद करनी चाहिए की मोदी की बातो से पाक के कानों पाए ज़ू रेंगने वाली है। क्या वाकई वहां की जनता सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरेगी? इसका जवाब तो पता नही कब मिलेगा। लेकिन हमने उरी हमले के बाद ऐसा कुछ नही किया है, जिसे पाकिस्तान को जवाब माना जाए। ना सर्जिकल स्ट्राइक किया। न पाक का मोस्ट फेवरड नेशन का दर्ज खत्म किया। न सिन्धु जल संधि को तोड़ा। कुछ भी करने मे बहुत पेंच है। ये रोजाना आप ओर हम टीवी चैनलों पर दिग्गजों से समझ ही रहे हैं। इसलिए मोदी ने भी हमले का जवाब भाषण से दे दिया है। धीरे धीरे लोग भी उरी पर बात करना बंद कर ही देंगे।