बचपन में 50 वर्ष पूर्व मेरे पैतृक ग्राम कालमुखी (जिला-खंडवा) में सायंकाल में एक भिखारी दर्द भरी आवाज में भीख माँग रहा था। दे दे अलाह के नाम पर दे दे। माँ ने कहा- बेटा एक रोटी पर सुखी सब्जी व गुड़ रखकर उसे दे दो । इसी बीच में मैंने सुना कि वो कह रहा था — जो दे उसका भी भला जो न दे उसका भी भला।तब मैने सोचा कि ये तो न दे उसका भी भला कह रहा है फिर मैं उसे रोटी क्यों दूँ ।ऐसे में मैं भिखारी को रोटी दिये बिना ही वापस आने लगा ।तब माँ ने पूछा रोटी क्यों नहीं दी ? उस वक्त मैने कहा – जब वो बिना दिये ही अपना भला कर रहा है तो मैं रोटी क्यों दू ? माँ ने कहा- तुम्हें मैने कितनी बार बताया कि मुफ्त में कुछ नहीं लेना चाहिए।यहाँ तक कि उसकी दुआ भी नहीं ।अब जा और रोटी -सब्जी उस भिखारी को देकर आ। फकीर बहुत नेक नीयत वाले होते हैं वो ये भी जानते हैं कि हर आदमी की हैसियत एक रोटी देने की भी नहीं होती पर दुआएँ तो उसके पास भरपूर है । अतःवो न देने वाले को दूसरे भिखारियों जैसा गालियां नहीं देता। उसकी सोच रहती है कि जो नहीं देने योग्य है अल्लाह उनके ऊपर भी रहमोकरम कर उन्हें दो वक्त की रोटी मुहैय्या करावे । इसी बीच भिखारी रोटी लेकर पुनः कहने लगा कि जो दे उसका भला जो न दे उसका भी भला ।
-हेमन्त उपाध्याय,
व्यंग्यकार एवं लघुकथाकार
साहित्य कुटीर पं . रामनारायण उपाध्याय वार्ड खंडवा( म प्र ) म़ोबाईल नम्बर 9425086246 / 9424949839/ 7999749125 mail address [email protected]