अंधभक्ति छोड़ देशभक्ति की राह पर चलें

modiमोदीग्रस्त भक्तजनो ,
तुम संतुस्ट हो सीमा पर होते लगतार संगर्ष विराम उलंघन और शहीद होते जवानों घायल होती भारत माँ के बोच साडी और शाल के लेनदेन के गठबंधन , शपथ ग्रहण में कारगिल शहीदों के मुजरिम की उपस्थिति और उससे भी आगे बढ़कर वैदिक मंत्रो के साथ देश के मोस्ट वांटेड आतंकवादी हाफिज सईद से चाय पर चर्चा करने से तो भक्तो इससे भक्त संतुस्ट हो सकते है देशभक्त नही ।
एक और बात WTO में समझोते पर हस्ताक्षर की अंतिम त्तिथि 31 जुलाई थी और इस अंतिम तिथि पर भारत की वर्तमान सरकार ने हस्ताक्षर करने से मना कर देशहित में फैसला लिए है लेकिन भक्तो जरा ये बताओ कीजब उसकी अंतिम तिथि 31 जुलाई आती है कैसे जब पूर्व मनमोहन सरकार हस्ताक्षर कर देती पूर्व की upa सरकार ने भी इस देश विरोधी विश्व व्यापार संघठन के समझोते पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था अगर किसी कम को समय पूर्व कर लिया जाता तो क्या उसकी अंतिम तिथि आती है।
इसलिए भक्तो बिना दिमाग लगाये उलटी सीधी पोस्टो पर देश की जनता ने चुनावों में धोखा खा लिए है अब तुम सत्ता में हो इन झूटी खबरों से जनता को ठगना बांध करो ।
अब  चीन पर आता हु भक्तो जरा ये बताओ की उत्तराखंड चीनीसेना  हेलीकाप्टर की जोशीमठ पर क्या चारधाम की यात्रा करने आया था ?
क्या लद्दाख शेत्र में  चीनी सेना ने तम्बू गाड़े वो क्या मुज्जफरनगर दंगा प्रभावितों के शिविर लगाने के लिए गाड़े थे ? अगर ये सब हरकते चीन डरकर कर रहा है तो ऐसा दर भी भक्त स्वीकार कर सकते है देशभक्त नही ।
अब बात गोमाता की चुनावों में पिंक रेवोलुशन की बात करने वालो को क्या देशभर के कत्लखानो में कटती गोमाताओ की पीड़ा पर अब दुःख नही होता क्या गोमाता भी मात्र का दर्द भी वोटबटोरने के लिए ही था ।
अब हिदुत्व पर छद्म हिन्दुत्व के पैरोकारो की सरकार जिसके जिम्मे अमरनाथ बाबा की सुरक्षा का जिम्मा था उस अमरनाथ यात्रा के दौरान यात्रियों पर हमला हुआ यात्रियों को यात्रा करने से रोका गया क्या उस खबर तक को इस छद्म राष्ट्रवादियो ने दबवा दिया।
राममंदिर की बात करने में इन्हें शर्म महसूस होती है क्यूंकि राममंदिर इनके लिए सिर्फ एक मुद्दा है । धारा 377 की बात कुर्सी पर बैठे उस दिन की मामूली विरोध होते है अपने बयान से पलट गये अगर ये हिन्दुत्व है तो ऐसा हिन्दुत्व अंधभक्त स्वीकार सकते है देश भक्त नही ।
अब बात विदेश निवेश की भी कर लेते है भक्तो क्यूंकि आजकल भक्तो के विचारो में भी इनके भगवान् ने अमेरिकी निवेश हो चूका है क्यूंकि जो विपक्ष में रहते विदेशी निवेश की तुलना देश बेचने से कर रहे थे बड़ी बड़ी भाषा में ईस्ट इंडिया कंपनी की वापसी देश गुलामी की और जाएगा ऐसे राष्ट्रवादी विचारों के साथवोट बटोरने वाले इन छद्म राष्ट्रवादियो ने तो पिछली मनमोहन सरकार से आगे बढ़ते हुए पुरे देश को ही विदेश बनाने की घोषणा कर दी हर शेत्र में विदेशी निवेश की अनुमति दे दी अब जिनके विचारो में ही अमेरिकी निवेश हो चूका हो उन भक्तो की एक प्रधानमन्त्री को दुसरे राष्ट्र द्वारा आमंत्रण भेजना बहुत बड़ी बात लगनी ही है  , जबकि अमेरिका या विदेशो में जाने वाले इनके भगवान् पहले प्राधानमंत्री नही है जिन्हें बुलाया जा रहा है ।
अब मुझे तो देशभक्त होने के नाते जो मन में था लिख दिया  अब किसी भक्त को मिर्ची लगे तो कमेंट मत करना पानी पी लेना क्यूंकि घरो में आते नल के पानी में विदेशी निवेश अभी नही हुआ है देश का पानी पिने से भक्तो के विचारो का शुद्धिकरण हो जाये अंधभक्ति छोड़ देशभक्ति की राह पर चल पड़े ।जय हिन्द ।
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