“गाँधी” उपनाम का सच

firoj gandhiअक्सर फेसबुक पर और अन्य सोशल मीडिया में एक आरोप लगता रहा है कि राजीव-संजय गाँधी के पिता स्व. फ़िरोज़ गाँधी हिन्दू नहीं मुस्लिम थे जिनका नाम फ़िरोज़ खान था..
आइये आप को आज इस “गाँधी” उपनाम का भी सच बताता हु.
फ़िरोज़ घांडी (Ghandy) एक पारसी परिवार से थे. पारसियों के नाम अक्सर मुस्लिम नामों से मिलते जुलते होते हैं ..जैसे जमशेद जी, नौशेरवान जी, जहाँगीर जी (ये तीनों नाम महान टाटा परिवार की तीन विभूतियों के नाम है-जो पारसी हैं) इसी तरह बेजान दारूवाला होमी जहाँगीर भाभा आदि कई नाम आपके समक्ष उपस्थित हैं.
फ़िरोज़ -महात्मा गाँधी के अनुयायी थे और उन्हें पिता तुल्य मानते थे …Gandhi और Ghandy के उच्चारण में अंग्रेज़ अक्सर धोखा खा जाते थे अत: इस तरह Ghandy से फ़िरोज़ गाँधी हो गए. फ़िरोज़ गाँधी जी आज़ादी के आन्दोलन के दौरान कई बार जेल भी गए और उस दौर में दो राष्ट्रवादी अखबारों के सम्पादक भी थे.
दरअसल ये सारा प्रपंच संघ परिवार के “चरित्र हनन विभाग” का फैलाया हुआ है जिस का काम महापुरुषों को कोसना और कैसे भी हर बात मुसलमान या इस्लाम पर ले जा कर छोड़ना है ताकि ध्रुविकरण किया जा सके.
इंदिरा और फ़िरोज़ का विवाह भी हिन्दू और पारसी के मिले जुले संस्कारों के तहत संपन्न हुआ था.
फ़िरोज़ गाँधी को 1958 में पहला ह्रदयघात हुआ.. सन 1960 में दुसरे ह्रदयघात से उनकी मृत्यु हुई.
आशा है आप इस पोस्ट को अधिक से अधिक शेयर करेंगे और भविष्य में किसी संघी के मुँह पर जड़ने के लिए सहेजकर भी रखेंगे
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