मध्यप्रदेश के मंत्री कैलाश विजयवर्गीय मर्यादा का पाठ पढ़ कर ऐसे फंसे कि भाजपा हाईकमान उन पर टूट पड़ा और पार्टी प्रवक्ता रविशंकर प्रसाद ने न केवल उनके बयान से किनारा किया, अपितु उनसे भी बयान वापस लेने को कह दिया।
गौर करें, विजयवर्गीय के बयान पर जिसमें उन्होंने कहा था कि एक ही शब्द, मर्यादा। मर्यादा का उल्लंघन होता है तो सीता का हरण हो जाता है। लक्ष्मण रेखा हर व्यक्ति की खींची गई है। उस लक्ष्मण रेखा को कोई भी पार करेगा तो रावण सामने बैठा है वह सीता का हरण करके ले जाएगा। यह सच ही तो है। कोई चाहे इसे कड़वा समझे या मीठा। मगर जाहिर तौर पर कोई भी राजनीतिक व सामाजिक नेता मीडिया के सामने आ कर इस बयान के विपरीत बोलने का साहस नहीं जुटा सकता क्योंकि वे उनके कपड़े तार-तार कर देंगे, महिला संगठन आसमान सिर पर उठा लेंगे, मगर आमजन में कानाफूसी है कि आखिर विजयवर्गीय ने ऐसा गलत क्या कह दिया? एक पुरुष होने के नाते महिलाओं की मर्यादा की बात करना भले ही मीडिया व महिला नेत्रियों को नागवार गुजरी हो, मगर धरातल का सच तो यही है कि हमारी माताएं व सासुएं भी अपनी बहू-बेटियों को मर्यादा में रहने की ही सीख देती हैं। खुद मीडिया वालों और महिला नेत्रियों की माताएं-सासुएं भी इसी प्रकार की सीख देती होंगी। सच तो ये है कि यही हमारी संस्कृति की विशेषता है और इसी कारण हम सांस्कृतिक मूल्यों में पूरी दुनिया में हम सिरमौर कहलाते हैं। मगर अफसोस कि इन दिनों उलटी बयार बह रही है। सवाल ये है कि क्या महिलओं की आजादी की पैरवी करने वाले महिलाओं को सारी मर्यादाएं ताक पर रखने को प्रेरित कर रहे हैं।