विभिन्न जिलों से कागजों में मृत घोषित जिन्दा लोग पहुंचे जयपुर

पिछले सभी बकाया भुगतान सहित पेंशन चालू करने की मांग की
अभियान द्वारा 6 जुलाई को की गई सत्यापन, पेंशन बकाया भुगतान सहित पुनः शुरू करने व लापरवाह कार्मिकों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करने पर आन्दोलन का ऐलान

jaipur samachar(फ़िरोज़ खान)जयपुर, 27 अगस्त, 2016
अभियान द्वारा 6 जुलाई 2016 को राजस्थान में 10 लाख लोगों की रोकी गई पेंशन व 7.6 लाख पेंशनर्स की पेंशन निरस्त की गई के तुरंत भौतिक सत्यापन और जिम्मेदार कार्मिकों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की थी. गौरतलब है कि राजस्थान सरकार द्वारा लगभग 10 लाख लोगों की पेंशन रोकी जिसमें से 7.6 लाख लोगों की पेंशन को तो निरस्त ही कर दिया गया था जिसमें से 2.95 लाख लोगों की पेंशन उनको मृत मानते हुए निरस्त की गई थी. जब ये आंकड़े अभियान के साथियों को मिले तो राजस्थान के विभिन्न जिलों में गांवों में जाकर भौतिक सत्यापन किया तो स्थिति एकदम उलट निकलकर आई क्योंकि इन मृतकों में से बहुत से लोग जिन्दा मिले और उन्हें पेंशन नहीं मिल रही थी. इसी प्रकार जिन लोगों को यह कहकर पेंशन रोकी गई कि इनको तो दो या उससे अधिक पेंशन मिल रही थी जिनकी संख्या सरकारी आंकड़ों के अनुसार 1.72 लाख है लेकिन सत्यापन के बाद देखने को मिला कि उनमें से भी अधिकतर की दोनों ही पेंशन निरस्त कर दी गई. इसी प्रकार विभाग ने एक श्रेणी others की बनाई है जिसका कोई पता ही नहीं है कि उनकी पेंशन किन कारणों से निरस्त कर दी गई है.
विधवा महिलाओं की पेंशन इसलिए निरस्त कर दी गई क्योंकि उनके साथ बेटे के बड़े होने के शर्त को पहले ही सॉफ्टवेर में दाल दी और उसे हटाया नहीं गया जिसकी बजह से हजारों महिलाओं की पेंशन निरस्त भी हो गई और अभी शुरू करने पर उनको भी पिछला बकाया भुगतान नहीं दिया जा रहा है.
रोकी गई और निरस्त की गई पेंशन के आंकड़ों को नहीं किया सार्वजानिक: 7 जुलाई 2016 को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव को भेजे गए पत्र में सर्वप्रथम यह मांग उठाई गई थी कि जिन 10 लाख पेंशनर्स की पेंशन रोकी गई है और जिन 7.6 लाख पेंशनर्स की पेंशन निरस्त की गई है उनके आंकड़े सार्वजानिक किये जाएँ जिससे कोई साधारण नागरिक यह देख सके साथ ही यह मांग भी की गई थी ये सूचियाँ ग्राम पंचायतों में भी ये उपलब्ध रहें जिससे कोई भी व्यक्ति ग्राम पंचायत के किसी भी गाँव से आकर देख सके. ये सभी आंकड़े विभाग में बैठे सभी कार्मिक इन्हेंrajssp.nic.in की वेबसाइट पर आसानी से देख सकते हैं लेकिन इन्हें आम जनता के लिए नहीं खोला गया है और ना ही ग्राम पंचायत में सूचियाँ उपलब्ध कराई गई हैं जिनको कोई भी व्यक्ति देख सके.
5-10 दिन में री वेरिफिकेशन का आश्वासन दिया लेकिन अभी सूचना नहीं दी: राज्य सरकार के उच्च अधिकारीयों और सामाजीक न्याय अधिकारिता मंत्री महोदय ने कहा था कि हम बहुत जल्दी ही राजस्थान के सभी 33 जिलों का री वेरिफिकेशन करवाकर जिन लोगों की पेंशन गलत तरीके से बंद हो गई है उसे तुरंत चालू करवाएंगे. आज भी जिन जिलों में अभियान के साथियों ने लोगों से पूछा है और पता किया है या तो लोगों की पेंशन अभी तक चालू ही नहीं की गई है और जिनकी चालू भी कर दी है तो उनको केवल एक महीने की पेंशन जारी की गई है. कई लोगों की पेंशन 2 या 3 साल से बंद कर दी गई है इसमें उन व्यक्तियों तो कोई दोष नहीं है सरकारी कर्मचारियों और अधिकारीयों की बजह से उनकी पेंशन बंद हुई है जबकि उसकी सजा उस बुजुर्ग महिला या पुरीष को भुगतनी पड़ रही है.
राजसमन्द जिले के भीम में 1308 को पुनः शुरू की लेकिन पूरा भुगतान नहीं और बाकी राजस्थान के लोगों का क्या होगा: राजसमन्द जिले की भीम पंचयत समिति में कुल 1005 लोगों को मृत बताकर पेंशन रोकी गई उनमें से 318 लोगों की पेंशन शुरू कर दी गई है एवं 2723 लोगों को दो पेंशन का लाभ मिल रही हैं बताकर पेंशन रोकी गई उनमें से 908 लोगों की पेंशन शुरू कर दी गईहै लेकिन उनको केवल पिछले 5 महिने का बकाया भुगतान ही किया है. इन पेंशनर्स में से बहुत सारे लोगों का 1 साल से अधिक भुगतान अभी भी बकाया चल रहा हैं. वे अभी भी पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनको कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है कि उनकी बाकी पेंशन कब आएगी. इसी प्रकार राजस्थान के 33 जिलों में भी लोग हैं जिनको मृत बताकर उनकी पेंशन रोक दी गई है उनका भी कोई जवाब राज्य राजधानी में बैठे अफसर मंत्री दे ही नहीं रहे हैं. वैसे होना तो यह चाहिए कि जिनकी पेंशन गलत वेरिफिकेशन के कारण से बंद की गई है उन सभी की पेंशन ब्याज सहित शुरू की जाये और ये गलत वेरिफिकेशन करने वाले कर्मचारियों और अधिकारीयों की तनख्वाह से बकाया पेंशन राशि वसूली जानी चाहिए जितने दिन से उन लोगों की पेंशन रोकी गई है.

इस सम्बन्ध में सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान राज्य सरकार से निम्न मांग करता है कि:-

इतने लम्बे समय से री-वेरिफिकेशन की बात 5-10 दिन में करने की बात कह रहे थे यदि यह अभी तक नहीं हुआ है तो उच्च अधिकारीयों सहित राज्य सरकार की स्पष्ट जिम्मेदारी बनती है, जो भी री-वेरिफिकेशन नहीं होने के लिए दोषी हों उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाये.
निरस्त की गई और रोकी गई गई पेंशनर्स की भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट सार्वजानिक की जाये:
मृत या किसी अन्य कारण से बंद की गई पेंशनर्स की पेंशन जब से बंद हुई तब से अभी तक का बकाया भुगतान ब्याज सहित दिया जाये.
पेंशन से सम्बंधित सभी डाटा पब्लिक डोमेन में डाला जाये जिस प्रकार नरेगा की वेबसाइट पर उपलब्ध है.
जिनकी भी पेंशन गलत खाते में कार्मिकों की लापरवाही की बजह से जा रही है उनकी सही खाते में भेजी जाये और लापरवाह कार्मिकों के खिलाफ कार्यवाही की जाये
जिन विधवा महिलाओं की पेंशन एंड(End) डेट के कारण बंद कि गई थी उनकी पेंशन वापस उसी समय से चालू की जाये जबसे उनकी पेंशन बंद की गई है और उसका ब्याज भी मिलना चाहिए.
जिन भी अधिकारीयों और कर्मचारियों की गलती की बजह से जिन्दा लोगों को मृत दर्शा दिया है या किसी अन्य कारण से लोगों की पेंशन रोक दी गई है उन सभी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाये उनके ऊपर पेनल्टी लगे जाये.

इसलिए जरुरत जवाबदेही कानून की: राज्य में जिस प्रकार अंधाधुंध तरीके से गरीब लोगों की पेंशन रोकी गई चाहे वे जिन्दा है तब भी उनको मरा हुआ बता दिया गया है इसी प्रकार अन्य कारण लिख दिया गया है जिसका अभी तक कोई अता-पता ही नहीं है कि रोके जाने का कारण क्या है. बुजुर्ग, विधवा, विकलांग पेंशन के लिए दफ्तरों के चक्कर पर चक्कर लगा रहे हैं लेकिन उनको ना तो कोई जवाब मिल रहा है और ना ही पेंशन. इसलिए अभियान पिछले काफी समय से एक सशक्त जवाबदेही कानून की मांग कर रहे हैं जिसमें कर्मचारियों, अधिकारीयों और राजनेताओं का स्पष्ट जॉब चार्ट बने और वे उसके अनुसार काम नहीं करे तो उनके ऊपर जुर्माना लगाया जाना चाहिए. इस पेंशन के मामले में भी विभाग द्वारा जवाबदेही का एक ढांचा बनाया जाये जिसमें अभी जिन भी कर्चारियों की गलती की बजह से यह पेंशन रोकी गईं हैं उन पर पेनल्टी लगे जाये और इसे राज्य सरकार के सभी विभागों के लिए लागू किया जाये.

अभियान की उपर्युक्त मांगों पर एक सप्ताह में कार्रवाई नहीं हुई तो इन सभी मांगों को लेकर जयपुर में आन्दोलन शुरू किया जायेगा |

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