हाईपरटेंशन का संबंध दिमाग से-डॉ. तरुण

डॉ. तरुण सक्सेना
डॉ. तरुण सक्सेना
अजमेर 27 अगस्त। हाईपरटेंशन केवल हार्ट और रक्तवाहिनियों की ही बीमारी नहीं इसका संबंध मस्तिष्क से भी है। राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित शीर्ष स्तर के मेडिकल जनरल में इस तथ्य को स्वीकार किया गया है।
पुष्कर रोड स्थित मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर के जनरल मेडिसिन विभाग के डॉ. तरुण सक्सेना ने यह जानकारी साझा की। डॉ. तरुण ने बताया कि भारतीय संस्कृति और संस्कारों के अनुरूप अच्छी नींद एवं तनाव रहित कम दिमागी थकान का जीवन आपको हाईपरटेंशन रोग की जकड़ में आने से काफी हद तक बचाता है।
उन्होंने बताया कि हाल मंे कैलिफोर्निया यू.एस.ए से प्रकाशित उच्च रक्तचाप से संबंधित शीर्ष स्तर के जनरल ‘‘ एनल्स ऑफ क्लिनिकल एण्ड एक्सपेरिमेंटल हाइपरटेंशन’’ ने उनका लिखा शोध पत्र ‘‘ पॉसिबल क्लिनिकल इम्प्लीकेशन ऑफ हाई लेफ्ट वेन्ट्रीक्यूलर इजेक्शन फोर्स एण्ड एक्जाजरेटेड सिम्पैथेटिक स्किन रिस्पोंस इन हाइपरटेंसिव पेशेंटस’’ तथा राष्ट्रीय स्तर पर चेन्नई से प्रकाशित ‘‘ इंडियन हार्ट जरनल’’ में उनके शोधपत्र ‘‘ असेसमेंट ऑफ लेफ्ट वेन्ट्रीक्यूलर इजेक्शन फोर्स एण्ड सिम्पैथेटिक स्किन रिस्पोंस इन नार्मोटेंसिव एण्ड हाईपरटेंसिव सब्जेक्ट’’ प्रकाशित कर यह बात प्रमाणित मानी है कि उच्च रक्तचाप केवल रक्त संचार व्यवस्था से जुड़ी बीमारी ही नहीं है अपितु इसका सीधा संबंध दिमाग से है।
शोधपत्र में पहली बार बड़ी धमनी ( ऐओर्टिक फ्लो) की अलग-अलग अवस्थाओं को ( ईको कार्डियोग्राफी) के माध्यम से दर्शाया गया है। नार्मोंटेंसिव में हाईपरटेंशन की दो स्टेज दर्शाई गई है। स्टेज एक में हाईपरटेंशन में हृदय द्वारा रक्त को अधिक बल से धमनियों में फेंकने के कारण (लेफ्ट वेंट्रीकल का इजेक्शन फोर्स) हाईपरटेंशन होना बताया गया है। स्टेज दो में हाईपरटेंशन की स्थिति रक्त को अधिक मात्रा में (हाईस्ट्रोक वोल्यूम) धमनियों में फेंकने के कारण बनती है।
डॉ. तरुण के अनुसार दिमागी तनाव बढ़ने से हृदय द्वारा धमनियों को फेंका जाने वाला रक्त प्रवाह ना सिर्फ बल की दृष्टि से तेज होता है बल्कि उसकी मात्रा भी बढ़ जाती है। उन्होंने बताया कि इन दोनों अवस्थाओं से बचाव को लेकर यही सलाह दी जाती है कि हर हाल मंे दिमागी तनाव से मुक्त रहें। उन्होंने बताया कि लोग घटना होने पर इतने दिमागी तनाव में नहीं आते जितने की घटना अथवा दुर्घटना होने की आशंका में दिमागी तनाव में आ जाते हैं। डॉ. तरुण ने कहा कि दिमागी रूप से तंदुरुस्ती का सूत्र अच्छी नींद लेने में छिपा है। अच्छी नींद भी तभी आती है जब आप ने परिश्रम किया हो यानी सुबह शाम नियमित रूप से लम्बी वॉक करें अथवा घर पर ही पैंतालीस मिनट नियमित योग-व्यायाम-प्रणायाम-ध्यान करें। डॉ. तरुण ने बताया कि दोनों शोधपत्र जरनल साइट एवं गूगल सर्च पर ऑनलाइन उपलब्ध हैं।

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