अंगुठे अमृत बसे, लब्धितणा भंडार, श्रीगुरु गौत्तम, सुमरिए मन वांछित फल दातार’’

( भगवान महावीर के निर्वाण दिवस पर चैत्यवंदन व गुरुगौत्तम रास का वाचन )
bikaner samacharबीकानेर 21 अक्टूबर 2017।जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के आचार्यश्री जिन मणि प्रभ सूरिश्वरजी के नेतृत्व में शुक्रवार को भगवान महावीर के निर्वाण दिवस पर वीतराग प्रभु के मंदिर में चतुर्विद संघ के साथ चैत्यवंदन किया गया तथा निर्वाण का लड्डू चढ़ाया गया। आचार्यश्री ने बागड़ी मोहल्ला की ढढ्ढा कोटड़ी में गुरु गौत्तम रास का वाचन किया तथा महामांगलिक पाठ सुनाया। आचार्यश्री ने प्रवचन में कहा कि ’’अंगुठे अमृत बसे, लब्धितणाभंडार, श्रीगुरु गौत्तम, सुमरिए मन वांछित फलदातार’’ । गुरु गौत्तम रास व्यावहारिक जीवन में रोग, शोक, दोष, पाप व ताप निवारक, रिद्धि-सिद्धि व आनंददायक और आध्यात्मिक दृष्टि से मोक्षदायक है। गौत्तम प्रभु ने भगवान महावीर की देशना, उपदेशव संदेश और सिंद्धान्तों को सर्वज्ञ किया। प्रभु के प्रतिपूर्ण समर्पण और संयम साधना से वे पूजनीय ववंदनीय बन गए। आचार्यश्री ने परमात्मा महावीर औरगौत्तम स्वामी के संबंधों की व्याख्या करते हुए कहाकि वीतराग परमात्मा महावीर के प्रति गुरु गौत्तमस्वामी के हृदय में अपार प्रेम था। यही कारण था किगौत्तम स्वामी स्वयं चार ज्ञान के स्वामी होने केबावजूद हर सवाल परमात्मा से पूछते थे, जिससे सर्वजन को परमात्मा ज्ञान मिल सके।
– मोहन थानवी

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