अहिसां के पुजारी : यज्ञों मे पशु बली को बंद करवाने वाले प्रथम सम्राट —Part-4

डा. जे.के.गर्ग
डा. जे.के.गर्ग
कुलदेवी माता लक्ष्मी की कृपा से भगवान अग्रसेन के 18 पुत्र हुये। राजकुमार विभु उनमें सबसे बड़े थे। महर्षि गर्ग ने भगवान अग्रसेन को 18 पुत्र केसाथ 18 यज्ञ करने का संकल्प करवाया। माना जाता है कि इन 18 यज्ञों को 18 ऋषि-मुनियों ने सम्पन्न करवाया और इन्हीं ऋषि-मुनियों के नामपर ही अग्रवंश के गोत्रों का नामकरण हुआ | यज्ञों में पशुबलि दी जाती थी। जिस समय 18 वें यज्ञ में जीवित पशुओं की बलि देने की तय्यारी कीजा रही थी उस वक्त एक घोडा बलि के लिए लाया गया | महाराज अग्रसेन ने देखा कि घोडा यज्ञ की वेदी से दूर जाने और वहां से भागने कीकोशिश कर रहा था | इस दृश्य को देख कर महाराज अग्रसेन का दिल दया से भर गया और वे आहत भी हुए | उन्होंने सोचा के ये कैसा यज्ञ हैजिसमें हम मूक जानवरों की बलि चढ़ाते है ? महाराज अग्रसेन ने पशु वध को बंद करने के लिये अपने मंत्रियों के साथ विचार विमर्श किया औरअपने मंत्रीमंडल के विचारों के विपरीत जाकर उन्हें समझाया कि अहिंसा कभी भी कमजोरी नहीं होती है बल्कि अहिसा तो एक दुसरे के प्रति प्रेमऔर अपनापन जगाती है | महाराजा अग्रसेन ने तुरंत प्रभाव से मुनादि करवा दी की उनके राज्य मे कभी भी कोई हिंसा नहीं होगी और नहींजानवरों की हत्या नहीं होगी | अग्रसेनजी ने अहिंसा परमोधर्म का अनुसरण करने वाले पहिले सम्राट बने |
संकलनकर्ता डा. जे. के. गर्ग—डा. श्रीमती विनोद गर्ग
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