भाजपाई रख रहे हैं एक-दूसरे पर नजर

nasirabad upchunavएक ओर जहां केन्द्र व राज्य में सत्ता पर काबिज भाजपा के बीस विधायक नसीराबाद विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव को जीतने के लिए जी-जान लगाए हुए हैं, वहीं अजमेर जिले के भाजपाई इस बात पर नजर रख रहे हैं कि कौन नेता ठीक से काम नहीं कर रहा। वे ऐसा यह सोच कर कर रहे हैं कि यदि भाजपा प्रत्याशी हार गई तो उसका ठीकरा किस-किस पर फोड़ा जाए। हालांकि ऐसा नहीं कि भाजपा हारने ही जा रही है, मगर कहीं न कहीं भाजपाइयों को हारने का अंदेशा बना हुआ है। वे यह आंकने की कोशिश कर रहे हैं कि अजमेर के सांसद व मौजूदा जलदाय मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट कितनी गंभीरता से काम कर रहे हैं। जाहिर सी बात है कि अब मोदी लहर का सहारा तो है नहीं। सारा दारोमदार इस पर है कि जाट कितनी शिद्दत के साथ गैना को जिताने में जुटे हुए हैं। सरिता गैन की खुद तो पकड़ है नहीं। वे तो कमल के फूल के भरोसे और जाट की मेहरबानी से ही जीतने की आस लगाए हुए हैं।
असल में जाट का नाम इस कारण चर्चा में है, क्योंकि इकलौते वे ही भाजपा नेता हैं, जिन्होंने कांग्रेस के वर्षों पुरान गढ़ को ध्वस्त किया। हालांकि उसमें मोदी लहर का भी योगदान रहा, मगर जाहिर तौर पर मंत्री बनने के लिए जाट ने एडी चोटी का जोर लगाया था, तभी वे शानदार वोटों से जीते थे। सवाल उठता है कि क्या सरिता भी उसी तरह साम-दाम-दंड भेद का इस्तेमाल कर पाएंगी? बेशक सरकार का उन्हें पूरा सपोर्ट है और अनेक नेता क्षेत्र में जुटे हुए हैं, मगर वोट तो कार्यकर्ता ही डलवाएंगे। सवाल है कि कार्यकर्ताओं का दाना-पानी ठीक से जुटाया जा रहा है या नहीं? जहां तक जाट का सवाल पर उन के ऊपर शक इस कारण किया जा रहा है कि उनके पुत्र को टिकट नहीं दिया गया। कयास ये है कि यदि सरिता यहां से जीत गई तो बाद में उनके बेटे के राजनीतिक भविष्य का क्या होगा? जिले में किशनगढ़ के बाद यही तो एक मात्र सीट है, जहां जाटों का बोलबाला है। वैसे जानकारी यही है कि जाट ने अपनी पूरी ताकत लगा रखी है, मगर कहीं वे गड़बड़ न कर जाएं, इस पर सबकी नजर है। जाट की छोडिय़े, अजमेर से रोजाना नसीराबाद जा कर चुनाव प्रचार करने वाले भाजपा नेता भी एक दूसरे की गतिविधि पर नजर रखे हुए हैं कि कौन ठीक से काम कर रहा है। जाहिर तैर पर इसमें स्थानीय गुटबाजी की अहम भूमिका है। इस चुनाव की परफोरमेंस गिना कर ही तो स्थानीय नेता सरकार से रेवड़ी हासिल करने में कामयाब होंगे। ये भी आंका जा रहा है कि पूर्व जिला प्रमुख पुखराज पहाडिय़ा कितनी ईमानदारी से काम कर रहे हैं। ये भी देखा जा रहा है कि टिकट से वंचित अजमेर डेयरी अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी का भाजपा को सपोर्ट कितना कारगर साबित होगा? कुल मिला कर यह चुनाव बेहद रोचक है।

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