रेलवे का यह निर्णय अदूरदर्शी भरा निर्णय साबित होगा । इससे ट्रेन दुर्घटनाओ में वृद्धि होगी । रेलवे ने इसके लिए जो दूसरी व्यवस्था की हे वह हे की ट्रेन के डिब्बों में ड्राइवर और गार्ड के मोबाइल नंबर लिखे जाएंगे और प्रत्येक तीन कोच में एक वाकी टाकि के साथ कर्मचारी रहेगा ।
ये तो जनता के जीवन से खिलवाड़ हे यदि कोई आदमी ट्रेन के चलते समय में चढते हुए बेलेंस बिगड़ जॉय तो अभी के अनुसार कोई भी आदमी तुरन्त चेन खीच देता और गाडी तुरंत रुक जाती । अब यदि यही घटना यदि कोच से चेन हटा ली जाती हे ऊसके बाद होती हे तो यह करना होगा की पहले तो डिब्बे के उस हिस्से तक पहुचो जहा पे ड्राइवर के और गार्ड के मोबाइल नंबर लिखे हे और यदि भीड़ ज्यादा हे तो यह काम किसी चुनोती से कम नहीं फिर उस नंबर को मोबाइल से डायल करो और यह बात आप सब जानते हे की ट्रेन में मोबाइल का नेटवर्क कैसे काम करता हे तो फोन के नंबर पे बात होना भी एक बड़ी चुनोती होगी फिर ड्राईवर को पूरी घटना समझाओ फिर वो रोकेगा ट्रेन जब तक तो ट्रेन कितनी दुरी तय कर लेगी उसका अंदाज ही लगा सकते हे और वो आदमी जो ट्रेन से लटक रहा हे उसका हाथ भी तब तक छुट जाएगा और वो घायल भी हो सकता हे या उसकी जान भी जा सकती हे । अब रही बात वाकी टाकि वाले कर्मचारी की तो तीन कोच में से उसे ढूंढेंगे कहा और वो भीड़ भरी ट्रेन में नहीं मिला तो यात्री की तो जान जाना निश्चित हे ।
रेलवे ने यह चेन हटाने की योजना केवल इसलिए बनाई हे की चेन खीचने से रेलवे को कुछ करोड़ रूपये का नुक्सान हुवा लेकिन रेलवे यह क्यों नहीं सोचता की चेन खीचने से कितनी जाने बची हे । रुपयो के नुकसान का आकड़ा तो बता दिया यह भी आकड़ा जारी करे की चेन खीचने से कितनी जाने बची हे ।
रेलवे का यह निर्णय प्रेक्टिल तोर पे बिलकुल गलत हे यह आम जनता की जान से खिलवाड़ हे । यह निर्णय एयर कंडीशन कमरो में बैठ के लिया गया दुर्भाग्य पूर्ण निर्णय साबित होगा हे ।
और अब ऐसा लगता हे की आम जनता को अपनी जान की सुरक्षा की चेन अपने हाथ में रखने के लिये कोई बड़ा कदम उठाना होगा और इस निर्णय का विरोध करना होगा ।
हेमेन्द्र सोनी @ bdn ब्यावर
