ढेरों कलमे गढे, और पढा चालीसा,
भीड़ तो खूब जुटी, शाह बने खलीफा ।
इस त्योंहार, काँग्रेस को मिली एनर्जी,
…तो मोदी जी के, गले पड़ गई हार ।।
भला ये कैसा, मंजर चला दोस्तों,
लालू नीतीश की बही, बिहारी बयार।
चैनलों ने ,चलाई दिनभर कहानियाँ,
राजनीति के पंडितों ने, दिखाया आईना।।
शुद्ध होता जब ,मन आपका, होतीं हैं,
खुशियाँ भी परछाईयो सी साथ साथ।
यूँ ही कस नही दिया, तंज ‘बाबू बिहारी’ ने,
गाली और ताली ,दौनो – कप्तान को।।
जिंदगी की दौड़ मे तजुरबा अभी कच्चा है,
शुक्र है खुदा का , दिल तो अभी बच्चा है।
कहते है, बिहारी बड़े खुद्दार हुआ करते,
फोकट का अहसान, लिया नही करते।।
कुछ सामान, बेवजह है खरीद लेते लोग,
ख्वाबों को हकीकत के दीदार कब होते ।
कोई मुश्किलों को देख के, ढेर होते हैं,
कोई , तालियां सुनकर शेर हो जाते हैं।।
ज्यादा अभी तक, कुछ खोया नही है,
बदलो तो सोच, भला हो जन जन का।
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*****शमेन्द्र जड़वाल .
