चौधरी पर बेवजह हुई कार्यवाही !

Anup Singh-अमित सारस्वत- ‘हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था, मेरी कश्ती भी डूबी वहां, जहां पानी कम था।’ यह कहावत चरितार्थ हुई ब्यावर सदर थाना सीआई अनूप सिंह चौधरी पर। बीते दो दशक में अनुशासन और मर्यादित तरीके से अपना कत्र्तव्य निर्वहन करने वाले चौधरी को नहीं पता था कि उच्चाधिकारी के आदेश मानने का उन्हें यह फल मिलेगा।
वर्ष 1994 बैच में अनूप सिंह चौधरी सब इंस्पेक्टर बने। उत्कृष्ट कार्यशैली और अनुभव के कारण वर्ष 2005 में घीया कांड मूर्ति प्रकरण का खुलासा कर बेशकीमती मूर्तियां बरामद करने में अहम भूमिका अदा की। इस उपलब्धि के चलते चौधरी को गैलेंट्री अवार्ड से नवाजा गया और वह एसआई से सीआई बन गए। समय और समर्पण के साथ ऐसे आगे बढ़े कि हर कदम पर सफलता मिलती गई। करौली पोस्टिंग के दौरान इनामी डकैत को पकड़ कर सरकार का नाम रोशन किया। इसके लिए सीएम वसुंधरा राजे ने गत 15 अगस्त 2015 को कोटा में राज्य स्तर पर सम्मानित करते हुए 12 बोर की बंदूक देकर सम्मान से नवाजा। एक पुलिस वाले के लिए यह उपलब्धि बहुत बड़ी बात होती है। पुलिस महकमे में रहते हुए चौधरी ने जनता के साथ ऐसा रिश्ता कायम किया कि वर्तमान समय तक इनके दामन पर कोई दाग नहीं लगा। ब्यावर सदर थानाधिकारी रहते हुए अनूप सिंह ने इतनी आत्मीयता दिखाई कि गत दीपावली के दिन निजी आय से अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को मिठाई बांटी। पहली बार किसी अधिकारी द्वारा किए गए इस आत्मीय व्यवहार से अधीनस्थ अधिकारी और कांस्टेबल खुश हुए।
19 साल के केरियर की इतनी खासियत के साथ उनकी एक और खास बात रही कि वे अपने उच्चाधिकारियों की ‘गाय’ बनकर रहे। अधिकारी के हर आदेश की तत्काल पालना करते। बस यही एक छोटी सी बात उनके लिए गले की फांस बन गई और लाइन हाजिर हो गए। उनका कसूर सिर्फ इतना था कि गत 29 नवंबर की रात अपने उच्चाधिकारी के आदेश की पालना करते हुए बेगुनाहों को जबरन पकड़कर थाने ले आए। इसके बाद एडिशनल एसपी विनित बंसल ने पकड़े गए शिक्षित युवाओं के खिलाफ पीटा एक्ट में कार्यवाही कर दी। एएसपी द्वारा की गई इस कार्यवाही से खाकी के खिलाफ आवाज बुलंद होने लगी। गृह मंत्रालय और पुलिस महकमे पर सवाल उठने लगे। बेगुनाहों के साथ आवाम ने आवाज बुलंद की तो पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। आला अधिकारी ने सदर सीआई अनूप सिंह को लाइन हाजिर कर दिया, जबकि पीटा एक्ट की कार्यवाही एएसपी के निर्देश पर हुई थी। शहर में इस बात को लेकर चर्चा है कि जब उपाधीक्षक श्रेणी का अधिकारी पीटा एक्ट की कार्यवाही करता है तो सीआई से पहले उस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही क्यों नहीं की गई? सीआई ने तो महज अपने अधिकारी का आदेश माना। अगर नहीं मानता तो उसे नोटिस थमा दिया जाता या शायद ट्रांसफर भी हो जाता।

अमित सारस्वत
अमित सारस्वत
खैर, मरता क्या नहीं करता। पुलिस पर दबाव बना तो महकमे ने थानाधिकारी पर गाज गिराकर अपना बचाव कर लिया। चौधरी पर बेवजह हुई कार्यवाही के बावजूद भी उन्होंने कोई शिकायत नहीं की, न ही इस कार्यवाही के बाद अपनी चुप्पी तोड़ी। उन्हें अफसोस जरूर है कि बेदाग 19 साल पुलिस की नौकरी करने और सरकार से बड़ा सम्मान प्राप्त करने के बाद यह दिन देखने को मिला।
-अमित सारस्वत, जर्नलिस्ट, ब्यावर

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