तेजा मेला कार्ड में भाजपा की गुटबाजी उजागर

123456-अमित सारस्वत- ब्यावर। ‘मेला दिलों का आता है, एक बार आके चला जाता है..’ मेला फिल्म के गाने की इन लाइनों से स्पष्ट है कि मेला सभी को आपस में मिलाने का कार्य करता है। लेकिन ब्यावर का ऐतिहासिक तेजा मेला शुरू होने से पहले ही भाजपाईयों को एक-दूसरे से दूर करता नजर आ रहा है। पहले तो कार्ड प्रायोजक को लेकर हंगामा और अब कार्ड छपा तो नामों को लेकर विवाद। इस विवाद से एक बार फिर भाजपा की अंदरुनी गुटबाजी उजागर हो गई है।
शनिवार रात मेला आयोजन शांतिपूर्ण संपन्न होने की मंशा लेकर सभापति बबीता चौहान व मेला संयोजक विनोद खाटवा के साथ 15 पार्षद प्रथम पूज्य देव भगवान गणेश के मंदिर पहुंचे। गणपति को न्यौता देने से पूर्व ही कार्ड को लेकर विवाद शुरू हो गया। मंदिर में प्रवेश से पहले सभी पार्षदों ने कार्ड देखा। भाजपा पार्षद मोतीसिंह सांखला ने कार्ड में फोटो सही नहीं लगाने पर नाराजगी जताई। मेला संयोजक के खिलाफ रोष जताते हुए मंदिर में साथ जाने की बजाय घर लौट गए। इसके बाद रविवार सुबह शहर में कार्ड वितरण होते ही चर्चाएं शुरू हो गई। नगर परिषद द्वारा आयोजित होने वाले तीन दिवसीय मेले में ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष को बतौर अतिथि आमंत्रित किया गया है जबकि सत्तारूढ़ पार्टी के मंडल अध्यक्ष मुरली तिलोकानी व भाजयुमो शहर अध्यक्ष मनीष बुरड़ को अपनों ने ही भुला दिया। ये भूल है या राजनीतिक षड्यंत्र, आमजन के मन में यह सवाल उठ रहा है। सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए आमंत्रित अतिथियों में मंत्री के साथ भाजपा के मंडल उपाध्यक्ष, महामंत्री व अन्य पदाधिकारियों के नाम से लेकर कार्यकर्ताओं के नाम कार्ड में छपे हैं मगर संघ से नाता रखने वाले देहात जिलाध्यक्ष भगवती प्रसाद सारस्वत व पार्षद दल प्रभारी रिखबचंद खटोड़ का नाम गायब होना भी आश्चर्य से कम नहीं है।

अमित सारस्वत
अमित सारस्वत
अब मेले में दो दिन और शेष रहे हैं। क्या नया बदलाव आता है, और कौन किसके विरोध की भेंट चढ़ता है, यह देखना रोचक होगा। बहरहाल जगजाहिर है कि तेजा मेला कार्ड पर हुई राजनीति ने भाजपा की चौसर पर एकजुट हो रही गोटियों को फिर बिखेर दिया है।

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