श्री श्री जी को खुला पत्र ?

sohanpal singh
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जिस प्रकार अपने पूरी दुनिया से झूंठ बोल कर सरकारी सहायता से पाखंड का प्रदर्शन किया है 11 सर 13 मार्च 2016 को वह , दुनिया के देशो के लिए एक उदाहरण बन गया है की भारत में संवैधानिक संस्थाओं का किस प्रकार साधू संतो की आड़ में स्वयं सरकार के द्वारा अवहेलना ही नहीं की जाती है अपितु मजाक भी उड़ाया जाता है ? शंकर जी कहते थे “11 से 13 तक मैं जमुना किनारे जादू दिखाऊंगा ” लेकिन हमने जो देखा की जमुना मैय्या ने तो इनकी गुस्ताखी माफ़ भी कर फि थी लेकिन देवो के देवता इन्द्र ने रवि शंकर के दावों पर पानी जरूर फेर दिया था ? हाँ हम भी मान लेते अगर दिल्ली में बरसने वाला पानी कार्य क्रम स्थल को छोड़ देता ? इसलिए रवि शंकर जी को या तो जनता को हाजिर नाजिर मानकर परमपिता परमात्मा से माफ़ी मांगनी चाहिए या झूंठे वायदे करना बंद कार देना चाहिए ?संतो और ज्ञानियों का काम देश की जनता को उचित मार्गदर्शन देना होता है न की किसी सत्ताधारी पार्टी की सहायता में सरकारी तंत्र का दुरुपयोग करना ? सबसे बड़ा और बेहूदा सवाल यह है की महाशय जी यह बताये की ये पैसे वालों के संत हैं आम जनता के ? क्योंकि विदेशी मेहमानो की जितनी बड़ी संख्या में बुलाया गया था उनका खर्च किस माध में से किया गया था। तथा इसमें काला धन कितना उपयोग किया गया है ?

एस पी सिंह , मेरठ

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