देखो समझो और विचारो, यही है चारों धाम
हिन्दू संस्कृति की पताका, आओ फिर से फहरा दें हम,
मानवता की रक्षा कर, जन-जन में विश्वास जगा दे हम
अपनी धरती…
प्रतिपदा की इस बेला में, ब्रह्माजी ने किया है इक काम
कहीं पे नदियां कहीं पर नाले, कहीं पर बसायें हैं धाम
अपनी धरती….
आज ही राज्याभिषेक हुआ था, नाम है श्री राम,
अधर्म पर धर्म की विजय का, जिन्होने किया था काम,
अपनी धरती…
शुरू किया है संवत् जिसने, उनका है विक्रम नाम,
जन्म-परण हो चाहे मृत्यु, इसी से होते सारे काम,
अपनी धरती…
अजयमेरू की स्थापना का, जिसने किया था काम,
प्रतिपदा का ही दिन था, राजा अजयपाल था नाम,
अपनी धरती…
चैत्र शुक्ल एकम को ही, हुआ बड़ा इक काम,
हिन्दू संस्कृति की रक्षा का, किया था जिसने काम,
नाम है डा. हेडगेवार, करता हूँ उनको प्रणाम्
अपनी धरती…
धर्म -संस्कृति की रक्षा का किया था जिसने काम,
जन्म लिया था सिन्ध में, उनका उडेरो नाम,
आयो लाल-झूलेलाल, लेते है सब नाम
अपनी धरती…
कविता लेखक
मोहन खण्डेलवाल