10अप्रैल सिन्धी भाषा दिवस पर …

डाँ.प्रदीप गेहानी
डाँ.प्रदीप गेहानी
भारत के संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल भाषाओं को भारतीय कानून के तहत बहुत सारे लाभ प्राप्त होते हैं, जिनमें से कुछ का उल्लेख नीचे किया गया है:
1. भारत के संविधान के अनुच्छेद 344 (1) एवं 35 (भाषा) में कहा गया है कि भारतीय संघ के समस्त कार्यपालिका एवं न्यायपालिका की कार्यकारी भाषा अँग्रेजी, हिंदी तथा क्षेत्राीय भाषाएँ होंगी, जो संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल होंगी।
2. संविधान के अनुच्छेद 344 (1) एवं 351 के अनुसार संविधान की आठवीं सूची में शामिल भाषाओं को जोड़ने का अधिकार संसद का है तथा 8वीं अनुसूची में शामिल भाषाओं के विकास एवं प्रचार का दायित्व केंद्र सरकार का होगा। इसके लिए सरकार जो भी दिशा-निर्देश देगी, उसे मानना राज्य सरकार के लिए बाध्यकारी होगा।
3. 8वीं सूची में शामिल भाषाएँ संबंधित राज्य के न्यायालयीय कार्य में व्यवहृत हो सकती हैं। न्यायालय में परिवाद सत्रा, सुनवाई प्रक्रिया, गवाही, आदेश, शपथ पत्रा आदि संबंधित मान्यता प्राप्त क्षेत्राीय भाषाओं में संपन्न हो सकता है।
4. भारतीय संसद एवं राज्य विधानसभा के माननीय सदस्य मान्यता प्राप्त भाषा में शपथ ले सकते हैं। साथ ही, राज्य विधानसभा में विधानसभा की कार्यवाही, ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, स्थगन प्रस्ताव, पूरक प्रश्न, संशोधन सूचना, साधारण विधेयक आदि संबंधित क्षेत्राीय भाषाओं में प्रस्तुत किया जा सकता है।
5. संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में मान्यता प्राप्त भाषाओं में उत्तर दिया जा सकता है तथा मान्यता प्राप्त भाषा एवं साहित्य को एक विषय के रूप में रखा जा सकता है।
6. राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं में मान्यता प्राप्त भाषाओं में उत्तर दिया जा सकता है तथा मान्यता प्राप्त भाषा एवं साहित्य को एक विषय के रूप में रखा जा सकता है।
7. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय एवं राज्य महिला आयोग, राष्ट्रीय एवं राज्य अल्पसंख्यक आयोग एवं अन्य राष्ट्रीय एवं राज्य आयोगों के साथ मान्यता प्राप्त भाषाओं में आवेदन, साक्ष्य तथा पत्राचार किया जा सकता है।
8. भारत सरकार के गजट का प्रकाशन मान्यता प्राप्त सभी भाषाओं में किया जाता है।
9. भारत सरकार के प्रकाशन विभाग, विज्ञापन एवं दृश्य प्रचार निदेशालय, पत्रा-सूचना कार्यालय विभाग, फिल्म प्रभाग, प्रचार निदेशालय आदि विभाग मान्यता प्राप्त भाषाओं के विकास के लिए अनेक योजनाओं का संचालन करते हैं।
10. सरकार द्वारा प्रेस, प्रकाशन व्यवसाय, सिने उद्योग तथा रेडियो प्रसारण की समस्याओं पर विचार करते समय सबसे ज्यादा ध्यान मान्यता प्राप्त भाषाओं में किए जाने वाले कार्यों की तरफ दिया जाता है। भारत सरकार द्वारा संचालित प्रसार भारती मान्यता प्राप्त भाषा में दूरदर्शन पर चैनल का प्रसारण करती है। आकाशवाणी भी मान्यता प्राप्त भाषा में अनिवार्यतः प्रसारण करता है।
11. जनगणना रिपोर्ट, पशु गणना, मकान गणना, व्यवसाय गणना, निर्वाचक नामावली आदि का प्रकाशन मान्यता प्राप्त भाषा में अनिवार्यतः होता है।
12. 8वीं अनुसूची में शामिल भाषाओं को संबंधित राज्यों से राजभाषा का दर्जा हासिल होता है। राज्यों को इन भाषाओं के विकास के लिए अपनी वार्षिक योजना में योजना आयोग, भारत सरकार से अतिरिक्त राशि आवंटित कराने का अधिकार प्राप्त है।
13. रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया द्वारा जारी एक हजार व पाँच सौ के नोट पर 8वीं अनुसूची में शामिल सभी भाषाओं में मूल्य मुद्रित किया जाता है।
14. मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा मात्रा 8वीं अनुसूची में शामिल भाषाओं के विकास के लिए योजना राशि स्वीकृत की जाती है तथा स्कीम आॅफ एसिस्टेंस फाॅर इम्प्रुवमेंट आॅफ लैंग्वेज टीचिंग एंड स्टेट एजेंसी द्वारा राज्यों को भाषा-विकास के लिए पर्याप्त आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
15. मान्यता प्राप्त भाषाओं में निबंधित समाचार पत्रा पत्रिकाओं को केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा अनुदान तथा कम ब्याज दर पर पैसा उपलब्ध कराया जाता है।
16. भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार, सरस्वती सम्मान, साहित्य अकादेमी पुरस्कार केवल मान्यता प्राप्त भाषा की रचनाओं को ही प्रदान किया जाता है।
17. के.के. बिड़ला फाउंडेशन, नई दिल्ली द्वारा केवल मान्यता प्राप्त भाषाओं की रचनाओं को अन्य भाषाओं में अनुवाद करने के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
18. संबंधित राज्यों में स्वतंत्राता दिवस, गणतंत्रा दिवस पर आमंत्राण-पत्रा तथा कार्यवाही मान्यता प्राप्त भाषा में की जाती है। विदेशी राजनयिकों, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्राी, राज्यपाल, अन्य प्रांतों के मुख्य मंत्राी, विशिष्ट राजकीय अतिथि आदि के दौरे की सूचना प्रोटोकाॅल के तहत मान्यता प्राप्त भाषाओं में भी प्रदान की जा सकती है।
19. मान्यता प्राप्त भाषाओं को संबंधित राज्यों में शिक्षा का माध्यम बनवाया जा सकता है तथा संबंधित भाषा की पढ़ाई की व्यवस्था प्राइमरी से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक करना अनिवार्य है।
20. नेशनल लाइब्रेरी, विदेश में स्थित भारतीय दूतावास एवं उच्चायोग तथा मान्यता प्राप्त पुस्तकालयों द्वारा मान्यता प्राप्त भाषा की पुस्तकों की खरीद के लिए योजना स्वीकृत है।
21. सुभद्रा जोशी समिति की रिपोर्ट के आधार पर गृह मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा सांप्रदायिक सौहार्द बढ़ाने के उद्देश्य से सेमिनार, विचार गोष्ठी, वाद-विवाद, कवि सम्मेलन, निबंध प्रतियोगिता आदि कार्यक्रमों को आयोजित करने के लिए मान्यता प्राप्त भाषाओं को अनुदान दिया जाता है।
22. संस्कृति मंत्रालय के माध्यम से राजा राममोहन राय पुस्तकालय हेतु पुस्तकों की खरीदारी, केंद्र व राज्य सरकारों के सरकारी संपोषित पुस्तकालयों में भाषा, साहित्य-संस्कृति से जुड़ी पुस्तकें, अखबार, पत्रा-पत्रिकाओं की खरीदारी संभव हो सकेगी।
23. मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने जिस तरह से अन्य भाषाओं के उन्नयन के लिए नेशनल काउंसिल फाॅर प्रमोशन आॅफ सिंधी लैंग्वेज/उर्दू लैंग्वेज, सेंट्रल इंस्टीट्यूट आॅफ क्लासिकल तमिल लैंग्वेज यूनिवर्सिटी आदि बनाए हैं मान्यता मिलने पर भाषा को लेकर भी ऐसी ही संस्था बनेगी। इसके साथ ही, भारतीय भाषा केंद्र, मैसूर में अनुवाद हेतु शिक्षण के लिए स्थान मिल सकेगा।
इसके अतिरिक्त अन्य बहुत सारी
सुविधाएँ भी 8वीं अनुसूची में शामिल भाषाओं को केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की जाती हैं।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 344 के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा 8वीं अनुसूची में उल्लिखित भाषाओँ की समस्याओं पर विचार करने के लिए विशेष आयोगों की नियुक्ति की जा सकती है। कहने का मतलब है कि 8वीं अनुसूची में शामिल भाषाओं को अन्य भाषाओं की तुलना में विशेषाधिकार प्राप्त होता है। अर्थात किसी भी भाषा को मान्यता नहीं देने का अर्थ उसे सरकारी समर्थन नहीं देना है। इस तरह, मान्यता से वंचित भाषाओं के विकास और प्रसार का दायित्व पूरी तरह से उसके समर्थकों की भावनाओं पर निर्भर करता है, जो आर्थिक रूप से अपने निजी स्रोतों पर निर्भर करते हैं। फलतः उन भाषाओं का पिछड़ जाना स्वाभाविक है जिन्हें सरकार द्वारा मान्यता का प्रसाद प्राप्त नहीं होता।

डाँ.प्रदीप गेहानी,
एम.ए(सिन्धी),
M.Com.,B.Ed,Ph.D

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