arvind apoorvaतीर्थ स्थल और पर्यटन की दृष्टि से पूरे विश्व में अपनी पहचान रखने वाले पुष्कर में सालभर विदेशी सैलानियों के आने-जाने का सिलसिला लगा रहता है। पुष्कर मेला हो या कपड़ा फाड़ होली, विदेशी मेहमान इन दोनों आयोजनों को लेकर उत्साहित रहते हैं, विशेष तौर पर इन आयोजनों में इनकी संख्या भी अधिक रहती है। लेकिन यहां आने वाले इन मेहमानों की निगरानी में कहीं न कहीं चूक होती ही है। कल का ही उदाहरण ले लो, एक मेहमान मानसिक संतुलन खो बैठा और कस्बे में भागता रहा। बमुश्किल उसे काबू किया गया। यह पहला मौका नहीं है कि ऐसा हुआ हो, इससे पहले भी विदेशी मेहमानों के मानसिक संतुलन खोने और उत्पात मचाने की घटनाएं होती रही हैं। इससे भी आगे तीर्थ नगरी की मर्यादा को भी ठेस पहुंची है। अखबारों में भले ही अज्ञात कारण लिखे जाते रहे हों, लेकिन स्थानीय लोगों के साथ-साथ आसपास रहने वाले लोगों को अच्छे से पता है कि इन विदेशी मेहमानों के मानसिक संतुलन खोने की असल वजह क्या है? स्थानीय लोगों के अनुसार भांग मिली ठंडाई भी इसका एक प्रमुख कारण है। भई स्थानीय पुलिस और टैफ के जवान भले ही इन्हें काबू करने का दावा करते हों, लेकिन इनकी निगरानी भी तो जरूरी है। है कि नई। क्यों न इन ठंडाई वालों को ही पाबंद कर दिया जाए… कि पर्यटकों को भांग मिली ठंडाई नहीं दी जाए। कारण कि ये पर्यटक मानसिक संतुलन तो खोते ही हैं, कई बार तीर्थ नगरी की मर्यादा को भी ठेस पहुंचाते हैं। ऐसे में इन पर निगरानी की खास जरूरत है….। है कि नई।
By- Arvind Apoorva
Hathaikichoupal. Blogspot. Com