छठे वेतन आयोग के अनुसार वेतन स्थिरीकरण करते हुये बकाया राशि का भुगतान, वरिष्ठ एवं चयनित वेतनमान का लाभ, उपदान की राशि एवं खाते में जमा उपार्जित अवकाश के बदले नकद राशि का भुगतान मय ब्याज सहित करने के आदेश
(राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर का मामला)
जयपुर, राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर ने अप्रार्थी संस्था प्रबन्ध समिति, सरस्वती बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, अजमेर (राज.) को आदेश दिया कि वे प्रार्थीगण श्रीमती प्रमिला गुप्ता व अन्य को छठे वेतन आयोग के अनुसार वेतन स्थिरीकरण करते हुये एरियर की राशि, राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान वरिष्ठ और चयनित वेतनमान का लाभ तथा अन्तिम वेतन के अनुसार ग्रेच्यूटी की राशि तथा कार्यमुक्ति के समय अवकाश खाते में जमा उपार्जित अवकाश के बदले नकद राशि का भुगतान बकाया होने की दिनांक से भुगतान किये जाने की दिनांक तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करे। उल्लेखनीय है कि प्रार्थीगण प्रमिला गुप्ता, मिस. रेखा वर्मा, नीलिमा माथुर, मिस. प्रेमलता अग्रवाल, गायत्राी रामरख्यानी, प्रीति माथुर एवं रोशन राठौड़, उक्त सभी प्रार्थीगणों की नियुक्तियॉं विभिन्न पदों पर अप्रार्थी संस्था में हुई थी जो कि चयन समिति द्वारा विधि सम्मत् सम्पूर्ण प्रक्रिया अपनायी जाकर हुई थी। उक्त सभी प्रार्थीगणों का आमेलन स्वेच्छिक ग्रामीण शिक्षा सेवा नियम 2010 के अन्तर्गत राज्य सरकार में हो गया, परन्तु अप्रार्थी संस्था द्वारा प्रार्थीगणों का राजस्थान सिविल सर्विसेज रिवाईज पे स्केल रूल्स, 2008 के अनुसार वेतन स्थिरीकरण करते हुऐ एरियर की राशि, राजस्थान सिविल सर्विसेज रिवाईज पे स्केल रूल्स, 1998 के अनुसार राज्य कर्मचारियों के समान वरिष्ठ एवं चयनित वेतनमान का लाभ, उपदान की राशि एवं खाते में जमा उपार्जित अवकाश के बदले नकद राशि का भुगतान नहीं किया गया। समायोजन के पश्चात् प्रार्थीगणों द्वारा उक्त लाभ देने हेतु संस्था से कई बार निवेदन किया गया परन्तु अप्रार्थी संस्था द्वारा इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया। तत्पश्चात् प्रार्थीगणों ने संस्था से तंग एवं परेशान होकर जरिये अधिवक्ता डी. पी. शर्मा के माध्यम से माननीय अधिकरण के समक्ष प्रार्थना पत्रा प्रस्तुत कर उक्त लाभ अप्रार्थी संस्था से दिलवाये जाने हेतु निवेदन किया। अप्रार्थी संस्था द्वारा अधिकरण के समक्ष यह तर्क दिया गया कि प्रार्थीगणों का समायोजन राज्य सरकार में होने के कारण इन्हें कार्यमुक्त किया गया इसलिेए सेवानिवृŸ नहीं होने के कारण प्रार्थीगण उपदान की राशि एवं उपार्जित अवकाश के बदले नकद राशि प्राप्त करने के अधिकारी नहीं है इसके जवाब में प्रार्थीगणों के अधिवक्ता डी.पी.शर्मा का तर्क था कि प्रार्थीगणों की नियुक्ति अनुदानित पद के विरूद्ध हुई है तथा अप्रार्थी संस्था राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त होते हुए 90 प्रतिशत से अधिक अनुदान प्राप्त करती है तथा राजस्थान स्वेच्छया ग्रामीण शिक्षा सेवा नियम, 2010 के नियमों के तहत राज्य सरकार की सेवा में जाने से पूर्व के समस्त लाभ संस्था द्वारा देय होगे तथा राज्य सरकार से अनुदानित होने के कारण अप्रार्थी संस्था पर राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 और नियम, 1993 के प्रावधान लागू होते है और उक्त नियमों एवं प्रावधानों के अनुसार प्रार्थीगण उपरोक्त समस्त लाभ अप्रार्थी संस्था से प्राप्त करने के अधिकारी है। मामले की सुनवाई के पश्चात् अधिकरण ने उक्त सभी लाभ बकाया होने की दिनांक से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित भुगतान करने के आदेश अप्रार्थी संस्था को दिये।