समझौते के तहत ग्रेच्यूटी की कम राशि के भुगतान को अवैध ठहराते हुये पूर्ण ग्रेच्यूटी की राशि एवं
छठे वेतन आयोग के अनुसार वेतन स्थिरीकरण करते हुये बकाया राशि, चयनित वेतनमान का लाभ, अवकाश खाते में जमा उपार्जित अवकाश के बदले नकद राशि का भुगतान मय ब्याज सहित करने तथा विधिक प्रावधानों के नियमों के अनुसार देय समस्त प्रावधायी निधि की राशि मय ब्याज सहित दिलवाये जाने हेतु प्रार्थीगण का सहयोग करने के आदेश
(राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर का मामला)
जयपुर, राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिकरण, जयपुर ने अप्रार्थी संस्था प्रबन्ध समिति, अग्रवाल सीनियर सैकण्डरी स्कूल, आगरा रोड़, जयपुर (राज.) को आदेश दिया कि वे प्रार्थीगण घनश्याम शर्मा एवं राजेश कुमार शर्मा को समझौते के तहत ग्रेच्यूटी की कम राशि के भुगतान को अवैध ठहराते हुये पूर्ण ग्रेच्यूटी की राशि का भुगतान करने तथा राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान चयनित वेतनमान का लाभ तथा राजस्थान सिविल सर्विसेज रिवाईज पे स्केल रूल्स, 2008 के अन्तर्गत वेतन का स्थिरीकरण करते हुये बकाया राशि तथा प्रार्थीगण के अवकाश खाते में जमा उपार्जित अवकाश के बदले नकद राशि का भुगतान तथा नियमानुसार प्रार्थीगणों को देय समस्त प्रावधायी निधि की राशि ब्याज सहित दिलवाये जाने में सहयोग करे तथा सम्पूर्ण राशि पर बकाया होने की दिनांक से भुगतान किये जाने की दिनांक तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से भुगतान करे। उल्लेखनीय है कि प्रार्थीगण घनश्याम शर्मा की नियुक्ति दिनांक 04.03.1980 को एवं राजेश कुमार शर्मा की नियुक्ति दिनांक 14.09.1977 को अप्रार्थी संस्था में चतुर्थ श्रैणी कर्मचारी के पद पर चयन समिति द्वारा विधि सम्मत् सम्पूर्ण प्रक्रिया अपनायी जाकर हुई थी। प्रार्थीगण ने सेवानिवृŸि की दिनांक क्रमशः 31.10.2008 व 30.12.2008 तक अप्रार्थी संस्था में कार्य किया परन्तु अप्रार्थी संस्था द्वारा प्रार्थीगणों को सेवानिवृŸि से पूर्व चयनित वेतनमान का लाभ एवं छठे वेतन आयोग का लाभ नहीं दिया गया तथा सेवानिवृŸि के समय अप्रार्थी संस्था द्वारा प्रार्थीगण से समझौता कर ग्रेच्यूटी की कम राशि का भुगतान किया गया तथा खाते में जमा उपार्जित अवकाश के बदले नकद राशि का भुगतान नहीं किया गया। साथ ही प्रार्थीगणों को पी.एफ. की राशि भी रूल्स, 2008 के अनुसार प्रदान नहीं की गयी। सेवानिवृŸि पश्चात् प्रार्थीगण द्वारा उक्त लाभ देने हेतु संस्था से बार-2 निवेदन किया गया परन्तु अप्रार्थी संस्था द्वारा प्रार्थीगण के निवेदन को अनसुना कर दिया। इसके बाद प्रार्थीगण ने संस्था से तंग एवं परेशान होकर जरिये अधिवक्ता डी. पी. शर्मा के माध्यम से माननीय अधिकरण के समक्ष प्रार्थना पत्रा प्रस्तुत कर उक्त लाभ अप्रार्थी संस्था से दिलवाये जाने हेतु निवेदन किया। प्रार्थीगण के अधिवक्ता डी.पी.शर्मा का तर्क था कि प्रार्थीगण की नियुक्ति अनुदानित पद के विरूद्ध हुई है तथा अप्रार्थी संस्था राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त होते हुए 80 प्रतिशत से अधिक अनुदान प्राप्त करती है तथा राज्य सरकार से अनुदानित होने के कारण अप्रार्थी संस्था पर राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 की धारा 20 के तहत कर्मचारी से उसको नुकसान पहुॅुंचाने वाला समझौता अवैध माना जावेगा, अतः समझौते के तहत ग्रेच्यूटी की पूर्ण राशि का भुगतान नहीं कर कम राशि का भुगतान करना अवैध है तथा राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम, 1989 एवं नियम, 1993 के नियमों एवं प्रावधानों के अनुसार प्रार्थीगण उपरोक्त समस्त लाभ अप्रार्थी संस्था से प्राप्त करने के अधिकारी है। मामले की सुनवाई के पश्चात् अधिकरण ने उक्त सभी लाभ बकाया होने की दिनांक से 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित भुगतान करने के आदेश अप्रार्थी संस्था को दिये।