जन्मजात विकार व विकृति से पीड़ितों को अब नहीं जाना होगा बाहर
अजमेर, 31 जुलाई ( )। मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर को राज्य सरकार ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ( आर.बी.एस.के ) अन्तर्गत उपचार के लिए अधिकृत कर दिया है। इसका सीधा फायदा 18 साल तक आयु वर्ग के उन तमाम बच्चों को मिल सकेगा जो जन्मजात विकारों या विकृति से पीड़ित हैं। ऐसे बच्चों को उपचार के लिए अब अजमेर से बाहर नहीं जाना होगा। पूर्व में उन्हें उपचार के लिए जयपुर या अन्यत्र भेजा जाता था।
मित्तल हाॅस्पिटल के निदेशक डाॅ दिलीप मित्तल ने बताया कि चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के निदेशक ने हाल ही में आदेश जारी कर मित्तल हाॅस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर अजमेर को उसकी स्वास्थ्य सेवाओं केे अपेक्षित स्तर को देखते हुए ‘‘आर.बी.एस.के’’ के तहत उपचार की मान्यता प्रदान कर दी है। उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार ने राज्य के प्रत्येक बच्चे को स्वास्थ्य सुरक्षा व उसके समग्र विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वर्ष 2015 से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया हुआ है। इसमें जन्म से 18 साल तक के सभी बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण सभी सरकारी विद्यालयों व आंगनबाड़ी केंद्रों पर समर्पित मोबाइल हैल्थ टीम के द्वारा कराया जाता है। बच्चों में संभावित विकारों की जांच कर उन्हें संबंधित गठित समिति द्वारा चिंहित किया जाता है और उन्हें बड़े चिकित्सालयों में भेज कर राज्य सरकार की ओर से निःशुल्क रोग निदान मुहैया कराया जाता है।
डाॅ मित्तल ने बताया कि इनमें जन्मजात विकार -विकृति, पोषक तत्वों जैसे विटामिनों की कमी से होने वाले विकार, गंभीर बीमारी से पीड़ित अथवा शारीरिक विकास में कमी व शारीरिक अयोग्यता वाले बच्चों को शामिल किया गया है। यदि कोई बच्चा राज्य सरकार की ओर से सूचिबद्ध 30 चिंहित बीमारियों जैसे हृदय में वाॅल्व की खराबी, दिल में छेद, आंखों की जन्मजात बीमारी, होठों का कटा होना, तालुओं का चिपका होना आदि अन्य किसी तरह की शारीरिक अयोग्यता आदि से ग्रसित पाया जाता है तो इसे आगे इलाज के लिए रैफरल फोलोअप निःशुल्क प्रदान किया जाता है। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के तहत जिन बच्चों के सर्जिकल इलाज की जरूरत होती है वह भी निःशुल्क मुहैया कराया जाता है।
उन्होंने बताया कि एक सर्वे के अनुसार देश में जन्में सौ नवजात में से छह या सात बच्चों में जन्मजात विकार या विकृति पाई जाती है। 4 से 70 प्रतिशत प्रीस्कूल बच्चों में पोषित तत्वों की कमी के कारण विकार पाए जाते हैं। करीब 10 प्रतिशत बच्चों की गंभीर बीमारियों को समय पर नहीं पहचाने जाने के कारण वे स्थाई रूप से शारीरिक अयोग्य हो जाते हैं।
निदेशक मनोज मित्तल ने बताया कि एक ही छत के नीचे समस्त सुपरस्पेशियलिटी स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने तथा संभाग के अजमेर, भीलवाड़ा, नागौर, टोंक, सहित आसपास के राजसमंद, पाली, चित्तौड़गढ़, सिरोही, सोजत, आदि क्षेत्रों के लोगों को बेहतरीन चिकित्सा सुविधाएं देने के दृष्टिगत मित्तल हाॅस्पिटल को ‘‘एनएबीएच’’ मान्यता प्राप्त है। अपने ध्येय वाक्य ‘‘आपका स्वास्थ्य संरक्षक’’ को चरितार्थ करते हुए मित्तल हाॅस्पिटल ने सामाजिक सरोकार के तहत श्रंृखलाबद्ध निःशुल्क चिकित्सा एवं परामर्श शिविर आयोजित कर सामाज के अंतिम तबके के वंचित और निर्धन वर्ग को भी सरकार की जनकल्याणकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ पहुंचाने प्रयास किया है। भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत अबतक करीब 1400 गंभीर रोगियों को निःशुल्क स्वास्थ्य लाभ मित्तल हाॅस्पिटल में मुहैया कराया गया है।
सन्तोष गुप्ता/प्रबन्धक जनसम्पर्क/9116049809
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