अपील निर्णय भी देते हैं महीनों बाद…
राज्य सरकार की नीतियों, निर्देशों व विधि की पालना कराने का दायित्व जिले के प्रशासनिक मुखिया होने के नाते जिला कलक्टर का होता है. कलक्टर को राज्य सरकार का प्रतिनिधि भी माना जाता है.
यू तो अज्मेर जिलाधीश आम जन के लोकप्रिय कलक्टर हैं लेकिन बात जब सूचना का अधिकार अधिनियम की पालना की हो तो इस्मे वे RTI आवेदको की निराशा के केन्द्र हैं.
जिलाधीश महोदय अपने अधीनस्थ कार्यालयो के विरुद्ध प्राप्त प्रथम अपीलों पर ना तो सुनवाई ही करते हैं ना ही 30 दिन मे अपील निर्णय पारित करते हैं. मेरे कई विद्वान साथी तर्क देते हैं कि जिला कलेक्टर को इतना समय नही होता कि वो अपीलार्थी को व्यक्तिगत सुने. उनको मै बताना चाहता हूँ कि जिलाधीश महोदय के पास अज्मेर विकास प्राधिकरण के आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार भी है जो कि ADA के लोक सुचना अधिकारी के विरुद्ध प्राप्त प्रथम अपीलों की प्रति माह व्यक्तिगत सुन वाई करते हैं और 30 दिन मे अपील निर्णय भी जारी करते हैं किन्तु जब यही जिलाधीश अपने मातहत विभागो के विरुद्ध प्राप्त अपीलों पर सुनवाई नहीं करेंगे तो सवाल तो उठेन्गे. आखिर क्या कारण है कि जिला कलक्टर RTI अपीलों के निस्तारण में इतने उदासीन हैं, क्या ऐसा कर के वे RTI एक्ट का अपमान नहीं कर रहे हैं और आम जन को संसद से प्राप्त अधिकारो पर अपना अतिक्रमण नहीं कर रहे हैं?
क्या ये पद का दुरूपयोग नहीं है? अज्मेर जिले के प्रत्येक आम जन की समस्या के समाधान के लिये हर समय तत्पर रहे वाले लोकप्रिय जिलाधीश श्री गौरव गोयल आखिर कब सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रति अपने कर्तव्य को समझेन्गे? हम तो पूछेन्गे.
तरुण अग्रवाल,
आर टी आई कार्यकर्ता
अज्मेर.