11 जुलाई को अजमेर के जिला एवं सत्र न्यायाधीश विनोद भारवानी ने नगर सुधार न्यास के पूर्व अध्यक्ष नरेन शाहनी को सेंट्रल जेल भिजवा दिया। भूमि के बदले भूमि रिश्वत के प्रकरण में पिछले एक वर्ष से फरार चल रहे शाहनी ने 11 जुलाई की सुबह अजमेर स्थित एसीबी की कोर्ट में समपर्ण किया, लेकिन न्यायाधीश अशोक सुरोलिया के अवकाश पर होने की वजह से शाहनी को जिला एवं सत्र न्यायालय में उपस्थित होना पड़ा। इसके साथ ही शाहनी के वकील प्रीतम सिंह सोनी ने जमानत का प्रार्थना पत्र भी प्रस्तुत कर दिया। हालांकि न्यायाधीश भारवानी का कहना रहा कि जमानत का प्रार्थना पत्र संबंधित अदालत में प्रस्तुत किया जाए। लेकिन सोनी के आग्रह पर न्यायाधीश भारवानी ने सुनवाई करना स्वीकार कर लिया। सोनी का कहना रहा कि एसीबी के पास शाहनी के विरुद्ध भ्रष्टाचार का कोई सबूत नहीं है। शिकायतकर्ता अजमत खान से 28 दिसम्बर 2012 को वार्ता करना बताया जा रहा है। जबकि इस दिन शाहनी अजमेर में थे ही नहीं। इसी प्रकार सरकार ने इस प्रकरण में जो खन्ना कमेटी की गठित की उसकी रिपोर्ट में भी शाहनी को दोषी नहीं माना गया। उल्टे शिकायतकर्ता के विरुद्ध ही गंभीर आरोप लगाए गए। वहीं सरकारी वकील अल्का गहलोत और शिकायतकर्ता के वकील जफर अहमद व अशरफ बुलंद का कहना रहा कि एसीबी ने प्रस्तुत चालान में शाहनी को अभियुक्त माना है और न्यायालय ने चार्ज फ्रेम भी कर दिया है। इसलिए गिरफ्तारी के साथ ही लिंक अदालत जमानत नहीं ले सकती। हालांकि जमानत के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई दोपहर 12 बजे हुई और प्रार्थना पत्र खारिज करने का निर्णय साढ़े तीन बजे लिया गया। लेकिन न्यायाधीश भारवानी ने सुनवाई के तुरंत बाद ही शाहनी को सेंट्रल जेल भेजने के आदेश दे दिए थे।
एस.पी.मित्तल