गांधी होना

कल्पित हरित
नाम तो उनका मोहनदास करमचंद गांधी था पर कहा हमेशा महात्मा गांधी ही जाता है | महात्मा का अर्थ है महान आत्मा और जब हम आत्मा की बात करते है तो हम किसी शरीर की नहीं विचार की बात करते है | एक ऐसा विचार जो आत्मा की तरह ही अजर और अमर है | इसलिए महात्मा गांधी का अर्थ उन विचारो और जीवन जीने के तरीको से है जिन्हे उस व्यक्ति ने अपने जीते जी प्रस्तुत किया या अभिव्यक्ति द्वारा समझाया |
अगर आप महात्मा गांधी की आत्मकथा “MY EXPERIMENT WITH TRUTH ” पढे तो पाएंगे की कैसे व्यक्ति अपने जीवन के हर अच्छे बुरे अनुभव से कुछ सीख सकता है | कठिन परस्थितियों मे किसी तरह मुक़ाबला किया जा सकता है और बिना किसी हिंसा के बड़ी से बड़ी शक्ति का लड़ा जा सकता है और ये बदलाव कैसे उपयोगी हो सकते है |
जब गांधी जी इंग्लैंड मे थे तो उन्होने पैसे बचाने के लिए किसी साधन के बजाय पैदल चलना शुरू किया | उन्होने अपनी आत्मकथा मे इसका वर्णन किया है कि इस आदत ने उन्हे स्वस्थ्य व्यकति बनाया और इंग्लैंड मे रहने के दौरान कभी बिमार नहीं पड़ने दिया, इसके अलावा दो की बजाय एक ही कमरे मे रहकर बाहर की जगह घर पर खाना बनाना और कई विलासिता युक्त चीज़ों से अपने आप को मुक्त कर बचत भी की जा सकती है और जीवन को साधारण तरीके से जीया जा सकता है ऐसी कई बातो का वर्णन है |
गांधी जी को पढ़ना जीवन जीने के तरीके और सादगी से जीवन व्यतीत करना सीखना है | एक बार गांधी जी के विरोध करने के कारण भीड़ ने एक व्यक्ति को पीटा था तो गांधी जी ने उस व्यक्ति को अपने मंच से उसकी बात कहने का अवसर दिया | अपने वैचारिक विरोधी को अपना दुश्मन न समझते हुए उसे अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता प्रदान करना और अपने खिलाफ उठने वाली आवाज़ को दबाना नहीं बल्कि सुनना उनके व्यक्तित्व से सीखा जा सकता है |
असहयोग, सविनय अवज्ञा , अनशन ये विरोध के उनके एसे तरीके थे जिन्होने अंग्रेजी सत्ता को बिना किसी हथियार के बेचैन कर दिया , उन्होने जन सहयोग के माध्यम और स्वदेशी अपनाने के विचार से , भारत के बाज़ार से विदेशी को बाहर करने का प्रयास किया जिसने सीधे उस व्यापार को खत्म किया जिसके लिए अंग्रेज़ भारत आए थे उनके यह प्रयोग अन्य देशो के लिए भी प्रेरणा का स्त्रोत बने और अफ्रीका आदि देशो ने भी उनके इन कारगार उपायो को अपनाया |
गांधीजी विदेश से शिक्षा ग्रहण करके आए थे पर जब उन्होने देखा कि देश मे लोगो के पास पहनने के लिए वस्त्र तक नहीं है तो उन्होने स्वयं भी वस्त्र त्याग कर केवल एक छोटी सी धोती व शाल को वस्त्र के रूप मे जीवन भर के लिए अपना लिया | सादगी और समाज के साथ समरसता स्थापित करने के तथा परिवर्तन कि शुरुआत खुद से करने के कई उधारणों से उनका जीवन भरा पड़ा है जिसे उन्होने अपनी जीवनी मे “सत्य के प्रयोग” कहकर संबोधित किया है |
गांधी के देश मे ही अज्ञानतावश और गलत जानकारी के कारण कई बार गांधी जी का विरोध और अपमान ऐसे लोगो द्वारा किया जाता है जिन्होने शायद कभी गांधी को पढ़ा ही नहीं | गांधी के धर्म , अध्यात्म , समाज को लेकर जो विचार थे वे सभी को समानता और बराबरी के साथ समरूपता स्थापित करने वाले थे जो आज 150 साल बाद भी उतने ही साशवत और सटीक है |
अल्बर्ट आइंस्टीन ने गांधी जी के लिए कहा था कि “आने वाली पीढ़िया यकीन नहीं करेंगी कि रक्त , हाड़ और मास का ऐसा व्यक्ति भी हुआ था” |
तो इतना आसान नहीं है देश और समाज के लिए सम्पूर्ण समर्पित होना |
और अपने आप मे गांधी होना |

कल्पित हरित
(राजकीय विधि महाविद्यालय अजमेर )

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