समाजवाद के प्रेरणता
पशु बलि बंद करने वाले प्रथम सम्राट
कुलदेवी माता लक्ष्मी की कृपा से भगवान अग्रसेन के 18 पुत्र हुये। राजकुमार विभु उनमें सबसे बड़े थे। महर्षि गर्ग ने भगवान अग्रसेन के 18 पुत्र के साथ 18 यज्ञ करने का संकल्प करवाया। उन दिनो यज्ञों में पशुबलि दी जाती थी। जिस समय 18 वें यज्ञ में जीवित पशुओं की बलि देने की तैयारी की जा रही थी उस वक्त एक घोडा बली के लिए लाया गया | महाराज अग्रसेन ने देखा कि घोड़ा यज्ञ की वेदी से दूर जाने और वहां से भागने की कोशिश कर रहा था | इस दृश्य को देख कर महाराज अग्रसेन का दिल दया से भर गया और वे आहत भी हुए | उन्होंने सोचा कि ये कैसा यज् है जिसमें हम मूक जानवरों की बलि चढ़ाते है ? महाराजा अग्रसेन ने पशु वध को बंद करने के लिये अपने मंत्रियों के साथ विचार विमर्श किया और अपने मंत्रिमंडल के विचारों के विपरीत जाकर उन्हें समझाया कि अहिंसा कभी भी कमजोरी नहीं होती है बल्कि अहिंसा तो एक दूसरे के प्रति प्रेम और अपनापन जगाती है| महाराजा अग्रसेन ने तुरंत प्रभाव से मुनादी करवा दी की उनके राज्य मे कभी भी कोई हिंसा और जानवरों की हत्या नहीं होगी | अग्रसेन जी अहिंसा परमो धर्म का संदेश देने वाले प्रथम महाराजा बन अहिंसा का संदेश उन्होंने भगवान बुद्ध और भगवान महावीर के अहिंसा के संदेश से 2500 साल पहले दे दिया था.