
बुधवार को जारी बयान में देवनानी ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार को सबका साथ-सबका विकास का नारा देकर सभी वर्गों और समुदायों के हितों के लिए काम कर रही है, लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार को केवल अल्पसंख्यकों के लिए ही सोचती है। यही कारण है कि वह मदरसों को आधुनिकीकरण के नाम पर सरकारी खजाने को लुटाकर प्रदेश की तुष्टिकरण की सारी सीमाएं लांघ रही है। यदि कांग्रेस सरकार वाकई में सभी वर्गों व समुदायों की हितैषी है, तो उसे ऐसी ही योजना उनके लिए भी बनानी चाहिए, जबकि सरकार ने आज तक वैदिक व संस्कृत विद्यालयों की दशा सुधारने की कोई सुध नहीं ली।
देवनानी ने कहा कि मदरसों से ज्यादा स्थिति तो सरकारी व प्राइवेट वैदिक और संस्कृत विद्यालयों की खराब है, जिनकी तरफ सरकार कोई ध्यान नहीं दिया है। आखिर सरकार मदरसों को सरकारी खजाने से 25 लाख रूपए तक की मदद और 90 प्रतिशत तक अनुदान देने का निर्णय कर क्या साबित करना चाहती है। उन्होंने कहा, केंद्र की मोदी सरकार ने सभी वर्गों और समुदायों के हितों के लिए काम रही है, यही कारण है कि अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए 15 सूत्री कार्यक्रम तय किया गया है। केंद्र सरकार ने केवल मदरसों के आधुनिकीकरण को ही अपनी योजनाओं में शामिल नहीं किया है, बल्कि सभी तरह के स्कूल-काॅलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए योजनाएं बनाई गई हैं। स्कूलों और काॅलेजों के विकास के लिए भी समुचित राशि दी जा रही है। विश्वविद्यालयों में शैक्षिक और भौतिक विकास की अनेक योजनाएं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के माध्यम से चल रही हैं।
देवनानी ने कहा कि वैसे तो सरकारी खजाने का सारा धन जनता का होता है, इसलिए सरकार यदि इसे लुटाना ही चाहती है, तो केवल अल्पसंख्यकों और मदरसों के लिए ही क्यों, सभी वर्गों और समुदायों के लिए भी खजाने का मुंह खोल देना चाहिए।