एक शाम राष्ट्र के नाम कवि सम्मेलन का किशनगढ़ में सफल आयोजन

राजस्थान भर से आए कवियों ने प्रस्तुत की अपनी रचनाएं

किशनगढ़, 16 अप्रैल। मंगलवार शाम किशनगढ़ में तिलक गार्डन में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कवियों ने अपनी विभिन्न काव्य रचनाएं प्रस्तुत कर समां बांध दिया।
‘‘एक शाम राष्ट्र के नाम’’ के अंतर्गत आयोजित कवि सम्मेलन का शुभारंभ शिवांगी सिकरवार ने सरस्वती वंदना कर की। सम्मेलन में कवियों ने देश भक्ति से ओतप्रोत काव्य रचनाओं का प्रवाह किया। जिन्हें श्रोताओं ने खूब सराहा।
कविगणों ने अपनी रचनाओं के जरिए राष्ट्र जागरण, संस्कृति, महिला सशक्तिकरण जैसे सामाजिक मुद्दों पर अपनी प्रस्तुतियां दी। इस मौके पर कवियों ने मंच से शत प्रतिशत मतदान करने की अपील भी की।
कार्यक्रम में जयपुर से किशोर पारीक ‘‘किशोर’’, बारां से शिवांगी सिंह सिकरवार, केकडी से अशोक चारण, भीलवाड़ा से प्रहलाद पारीक, केकडी से कमलेश कुमार, कोटा से आदित्य जैन, बांदीकुई से लोकेन्द्र भारद्वाज, किशनगढ़ से राहुल उपस्थित रहे।
कवि किशोर पारीक किशोर की रचना, नाम राम का लेकर मरता, राम राम कर जीता, राम हमारे घट घट वासी, हृदय निवासिनी सीता, सुना कर श्रोताओं को जोश से भर दिया।
कवयित्री शिवांगी सिंह सिकरवार ने, ओढ़ के केसरी मैं शक्ति को दर्शाती हूं, हो जाऊं मैं सफेद सत्य कहलाती हूं, मैं हूँ ध्वज राष्ट्र का, प्रतीक हूँ गौरव का मैं, बनके समृद्धि मैं हरियाली भी बन जाती हूं।, गाकर मातृ शक्ति के सम्मान की बात की।
कवि लोकेन्द्र भारद्वाज की रचना, जिनसे है आदि ओ अन्नत की कथा पुनित
असुर संघार हेतु आए राजा राम जी,
माता और पिताजी की आज्ञा के सम्मान हेतु
वन वन जीवन बिताए राजा राम जी
बानर और भालुओं की टोलियों को साथ लेके
महिलाओं की लाज को बचाए राजा राम जी
भाई के वियोग की व्यथा में उलझे तो राम
सरयू की धार में समाए राजा राम जी।, गीत पर श्रोताओं ने खूब तालियां बजायी।
किशनगढ़ के कवि दामोदर दाधीच की पंक्तियाँ, है सकल सृष्टि के अधिनायक, तुम कृपा सिंधु हितकारी हो। हे कौशल्या के नन्दन तुम, हरदम जयकार तुम्हारी हो।। तुम्ही सृष्टि के पालक हो, तुम से सब लोक उजागर है। श्री राम दया के सागर हैं, श्री राम दया के सागर हैं।।, गीत ने पूरा माहौल राममय कर दिया।
वीर रस के कवि अशोक चारण की रचना, मर्यादा पुरुषोत्तम के गुण धाम आपका स्वागत है, नैतिकता के नभमंडल निष्काम आपका स्वागत है, सिंघासन तैयार हुआ बलधाम आपका स्वागत है, अवधपुरी के आँगन में श्री राम आपका स्वागत है। सुना कर श्रोताओं को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।
प्रहलाद पारीक की रचना, पीर को भूषण बना शृंगार करना सीख लो।
निज उसूलो पर बनो दृढ़ और मरना सीख लो।
जब नुकीले ज़िन्दगी के रास्ते तुमको मिले।।
तब चुभन से प्यार कर सजना सँवरना सीख लो ।।, पर श्रोताओं ने खूब दाद दी।
कवि आदित्य जैन की पंक्तियाँ, अकबर भी डर गया तेरी छाती के नाप से, चट्टान भी पिघल गई सांसों के ताप से, मिट्टी में गिरा खून तो हल्दी महक उठी, धरती ये धन्य हो गई राणा प्रताप से, को श्रोताओं ने खूब सराहा। युवा कवि रनदीप राहुल ने भी अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। कवि सम्मेलन का संचालन विशेष कुमावत और कवि आदित्य जैन ने एवं अंत में संयोजक लक्ष्मीनारायण सोनगरा पधारे हुए सभी राष्ट्र भक्तों एवं मातृ शक्ति का आभार ज्ञापित किया।
इस कार्यक्रम में सैंकड़ों दर्शक उपस्थित हुए जिनमे मुख्य रूप से कवल प्रकाश कृष्णानी, ज्ञानेंद्र सैनी जगदीश कोठीवाल विमल बड़जात्या महेंद्र पाटनी, डॉ विनय सिंह चौहान विनोद झंवर, पवन जोशी अश्विनी परिहार, किशन बंग, प्रकाश राठी,सुनील दाधीच ,प्रहलाद कुमावत, हरकचंद, राकेश सोनी, गिरधारी सोनी नीतू बल्दुवा, सविता गुप्ता, शिमला कुमावत, एवं सभी किशनगढ़ वासियों नें राष्ट्रभक्त कवियों के काव्य पाठ को खूब सराहा।

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