विदेशी फिल्मों पर 100% टैरिफ लगाने के ट्रंप के फैसले को इम्पा ने बताया “अदूरदर्शी और आत्मघाती”

भारत सरकार से हस्तक्षेप की मांग
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिका में रिलीज होने वाली सभी विदेशी फिल्मों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने के निर्णय को लेकर इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IMPA) ने कड़ी आलोचना की है। इम्पा के अध्यक्ष अभय सिन्हा ने इस कदम को “अदूरदर्शी और आत्मघाती” करार देते हुए कहा कि यह फैसला अमेरिकी और वैश्विक फिल्म उद्योग के बीच बने हुए सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों के लिए खतरे की घंटी है।

सिन्हा ने स्पष्ट किया कि यह कदम “कथित तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा” और “स्थानीय फिल्म निर्माण को बढ़ावा” देने के नाम पर उठाया जा रहा है, लेकिन इसका वास्तविक प्रभाव कहीं अधिक नुकसानदायक साबित हो सकता है। उनका कहना है कि यह फैसला न सिर्फ भारतीय फिल्म उद्योग के लिए झटका होगा, बल्कि अमेरिका में मौजूद सिनेमा चेन और वितरकों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ेगा, जो वैश्विक और खासकर भारतीय फिल्मों पर काफी हद तक निर्भर हैं।

अभय सिन्हा ने इस मामले को लेकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर तत्काल राजनयिक हस्तक्षेप की मांग की है। सिन्हा ने कहा कि भारत सरकार को अमेरिकी प्रशासन से इन “अन्यायपूर्ण और व्यापार-विरोधी प्रतिबंधों” को वापस लेने की मांग करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इस फैसले से भारत-अमेरिका के बीच दशकों से चले आ रहे सहयोग और सांस्कृतिक संबंधों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था कि कई देश, जैसे लंदन, टोरंटो और सिडनी, अमेरिकी फिल्म निर्माताओं को आकर्षित करने के लिए सस्ते श्रम और टैक्स छूट जैसे साधनों का उपयोग कर रहे हैं। इससे अमेरिका में फिल्म निर्माण में भारी गिरावट आई है। इस स्थिति को सुधारने के लिए उन्होंने वाणिज्य विभाग और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि को निर्देश दिया है कि वे विदेशी निर्मित फिल्मों पर तत्काल प्रभाव से 100 फीसदी टैरिफ लगाएं।

इम्पा के अध्यक्ष ने चिंता जताई कि यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब वैश्विक फिल्म उद्योग, विशेष रूप से भारतीय सिनेमा, कोविड-19 महामारी के प्रभावों से उबरने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने कहा, “इस तरह के फैसलों से भारतीय निर्माताओं और वितरकों को नुकसान होगा। साथ ही अमेरिका के सिनेमाघरों की आय भी प्रभावित होगी, जो भारतीय फिल्मों को दिखाकर विविध दर्शकों को आकर्षित करते हैं।”

सिन्हा का यह भी मानना है कि अगर अमेरिकी सरकार वास्तव में घरेलू फिल्म निर्माण को प्रोत्साहित करना चाहती है, तो उसे लॉस एंजेल्स जैसे केंद्रों में फिल्म निर्माताओं को सब्सिडी और प्रोत्साहन देने चाहिए, न कि टैरिफ लगाकर वैश्विक सहयोग को बाधित करना चाहिए।

उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अमेरिका अपने फैसले पर अड़ा रहा, तो इसकी प्रतिक्रिया स्वरूप दूसरे देश भी जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं, जिससे व्यापारिक असंतुलन और उद्योग को दीर्घकालिक क्षति का सामना करना पड़ सकता है।

Leave a Comment

This site is protected by reCAPTCHA and the Google Privacy Policy and Terms of Service apply.

error: Content is protected !!