सन्तोष खाचरियावास
अजमेर में जिला प्रशासन गर्मी को लेकर रोज गरमा गरम निर्देशों की पूरियां तल रहा है, वैसे पूरी राज्य सरकार भी हीट वेव को लेकर अलर्ट है। मीडिया में खूब ढोल पीटा जा रहा है। बिजली-पानी और स्वास्थ्य सेवाएं सुचारू रखने के निर्देश बरस रहे हैं मगर सच्चाई यह है कि जो जैसा चल रहा था, वैसा ही चल रहा है। मरने वाले मर रहे हैं और तरने वाले तर रहे हैं।
वक्त पर नल नहीं टपक रहे हैं। बिजली है कि जब मर्जी हो तब गुल हो जाती है। अस्पतालों-डिस्पेंसरियों में डॉक्टरों की मर्जी के आगे सारे निर्देश फेल हैं। डिस्पेंसरियों के ज्यादातर डॉक्टर हीट वेव से बचने के लिए घरों से निकलते ही नहीं हैं। बेचारा नर्सिंग स्टाफ डिस्पेंसरियों को चला रहा है। लोग गर्मी से मर रहे हैं लेकिन प्रशासन है कि मानने को तैयार नहीं है।
स्मार्ट तरीका तो छोड़िए, हमारे अफसर परम्परागत तरीके भी भूल चुके हैं। कई शहरों में प्रमुख रास्तों पर प्रशासन ने शामियाने लगवा दिए गए हैं। कई शहरों में रास्तों पर लोगों पर पानी की फुहार छोड़ी जा रही है। कल ब्यावर और किशनगढ़ नगर परिषद ने अपने-अपने क्षेत्र की सड़कों पर दमकल से पानी का छिड़काव कराकर लोगों को गर्मी से कुछ राहत पहुंचाने की कोशिश की। यहां तक कि दरगाह परिसर में दरगाह कमेटी ने भी पानी की बौछार कराई लेकिन हमारे नगर निगम के अफसरों को इसका भी होश नहीं रहा है।
अजमेर शहर में अब तक न तो कहीं सड़क पर शामियाना लगवाया गया न कहीं दमकल ने पानी का छिड़काव किया। हमारी दमकलें केवल आग बुझाने लायक ही बची है, आसमानी आग से झुलसते लोगों के लिए नगर निगम की आंखों में पानी बचा ही कहां है?