
संगम का स्नान।
लोगों की भीड़,
श्रद्धा का दान।
कोई धनहीन,
कोई धनवान।
संगम के तट पर,
सब थे समान।
किसी ने कुछ पाया,
किसी ने कुछ खोया।
किसी ने कमाया,
किसी ने गँवाया।
किसी को भूख ने सताया,
किसी को पैदल चलाया।
पर न कोई घबराया,
न कोई पछताया।
ममता द्विवेदी
नालंदा ( बिहार )