महिला कांग्रेस द्वारा विजय शाह का पुतला फुका कर जोरदार प्रदर्षन किया गया

अजमेर 17 मई – भारतीय सेना, जो देश की आन-बान-शान का प्रतीक है, आज मध्य प्रदेश की बीजेपी सरकार के नेताओं के विवादित बयानों के कारण अपमान का शिकार हो रही है। पहले कैबिनेट मंत्री विजय शाह ने सेना की महिला इन्फेंट्री अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर अभद्र और सांप्रदायिक टिप्पणी की, जिसके विरोध में अजमेर शहर महिला कांग्रेस की नेता पार्षद लक्ष्मी  बुंदेल के नेतृत्व में जिला कलेक्टर कार्यलय पर विजय शाह का पुतला महिलाओं द्वारा फूकं कर जोरदार विरोध प्रदर्षन करते हुए विजय शाह के इस्तीफे की मांग की गयी।
इस अवसर पर नेता प्रतिपक्ष नगर निगम अजमेर डॉक्टर द्रोपदी कोली द्वारा महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा की एक तो भाजपा तीरंगा यात्रा की बात करती है दूसरी भाजपा के मंत्री और नेता सेना व देश अपमान करने में लगे हुए हैं। हमारी देश की सेना की कर्मठ जवाज महिला अधिकारी पर विवादित बयान करते रहते हैं। उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने सेना को ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चरणों में नतमस्तक’’ बताकर सैन्य बलों की स्वतंत्रता और गरिमा पर सवाल उठाए हैं।  लेकिन इस सबके बावजूद, नरेंद्र मोदी, बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व, और मध्य प्रदेश के लाचार, बेबस, और कमजोर मुख्यमंत्री मोहन यादव की चुप्पी देश को हैरान कर रही है। मोहन यादव की इस मामले में निष्क्रियता उनकी कमजोरी को उजागर करती है। एक मुख्यमंत्री के तौर पर, उन्हें तत्काल विजय शाह को बर्खास्त करना चाहिए था, लेकिन उनकी बेबसी और चुप्पी इस अपराध को और गंभीर बनाती है। अब साफ है कि इस मामले में असली कार्यवाही मोहन यादव पर होनी चाहिए, क्योंकि उनकी निष्क्रियता ने इस अपमान को और बढ़ावा दिया है।
विजय शाह के बयान का विवाद अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि मध्य प्रदेश के उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा ने एक और विवाद खड़ा कर दिया। जबलपुर में एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, ‘‘पूरा देश, देश की सेना, सैनिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं।’’ यह बयान भारतीय सेना की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर सीधा हमला है। सेना, जो देश की रक्षा के लिए अपनी जान की बाजी लगाती है, किसी व्यक्ति या राजनेता के सामने नतमस्तक नहीं होती। यह बयान न केवल सेना का अपमान है, बल्कि यह सैन्य बलों को एक राजनीतिक दल के अधीन दिखाने की कोशिश भी है। बीजेपी के नेताओं की यह प्रवृत्ति, जो सेना को अपनी राजनीति का मोहरा बनाना चाहती है, देश की एकता और सेना की गरिमा के लिए खतरनाक है। मोहन यादव, जो इस मामले में भी खामोश रहे, ने एक बार फिर साबित किया कि वे अपने मंत्रियों पर नियंत्रण रखने में पूरी तरह असमर्थ हैं। उनकी इस निष्क्रियता ने उन्हें एक लाचार और कमजोर मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित कर दिया है, और अब यह स्पष्ट है कि असली जवाबदेही उन पर तय होनी चाहिए। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़े गुनहगार नजर आते हैं। विजय शाह के बयान के बाद, जब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने कार्रवाई के आदेश दिए, तब भी मोहन यादव ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। रीवा में एक कार्यक्रम में जब उनसे इस बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने जवाब देने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘छोड़ो-छोड़ो, हो गया हो गया।’’ यह जवाब न केवल उनकी गैर-जिम्मेदाराना रवैये को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि वे सेना के अपमान जैसे गंभीर मामले को हल्के में ले रहे हैं। जगदीश देवड़ा के बयान पर भी मोहन यादव की चुप्पी उनकी कमजोरी को और उजागर करती है। एक मुख्यमंत्री के तौर पर, उनके पास अपने मंत्रिमंडल को अनुशासित करने की शक्ति है, लेकिन वे बार-बार असहाय और बेबस साबित हुए हैं। देशद्रोह जैसे बयानों को संरक्षण देना अपने आप में देशद्रोह है। इसीलिए, विजय शाह और जगदीश देवड़ा से पहले मोहन यादव पर असली कार्यवाही होनी चाहिए। उन्हें अपनी लाचारी और देशद्रोह जैसे कृत्यों को संरक्षण देने की जिम्मेदारी लेते हुए तत्काल इस्तीफा देना चाहिए।
बीजेपी, जो हर मंच पर “राष्ट्रवाद” और “सेना के सम्मान” का नाटक करती है, इस मामले से पूरी तरह बेनकाब हो रही है। उमा भारती जैसे वरिष्ठ नेताओं ने भी शाह की बर्खास्तगी की मांग की, लेकिन मोहन यादव और बीजेपी नेतृत्व ने इसे अनसुना कर दिया। जगदीश देवड़ा के बयान ने बीजेपी के इस दोहरे चरित्र को और उजागर किया। अब यह भी सवाल उठाता है कि क्या बीजेपी का “राष्ट्रवाद” सिर्फ चुनावी जुमला है? क्या पार्टी केवल वोटों के लिए सेना का नाम इस्तेमाल करती है, लेकिन जब बात जवाबदेही की आती है, तो चुप्पी साध लेती है? मोहन यादव की निष्क्रियता इस ढोंग को और पुख्ता करती है, और अब समय आ गया है कि उन पर सख्त कार्यवाही हो। विजय शाह और जगदीश देवड़ा के बयानों ने भारतीय सेना, कर्नल सोफिया कुरैशी, और देश की जनता की भावनाओं को ठेस  पहुंचाई है।
इस अवसर पर महिला कार्यकर्ताओं में मनीषा मीना, मंजू बलाई, मिनाक्षी मीना, भावना मेघवंश, शहनाज बनो, अंजुमन आरा, सरोज गहलोत व दीपा पारवानी महिला कार्यकता मौजूद थी।
भवदीया
(लक्ष्मी बुन्देल)
पार्षद नगर निगम
मो. 9462505487
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