
न ही डरता है किसी और से,
पर छोड़ जाना चाहता है संसार को
बूढ़ा हो जाने के डर से।
देखा है उसने बूढ़े मां-बाप को
बहू-बेटों के हाथों पिटते हुए,
भय से थर-थर कांपते हुए
मूक बन ज़िन्दा लाश बनते हुए,
घर से बेदखल होते हुए
गली-चौरहों पर भीख मांगते हुए।
देखा है उसने मजबूर बुजुर्गो को
एकांत कमरे में आंसू बहाते हुए,
भूख से चीखते-चिल्लाते हुए
ईश्वर से मौत की भीख मांगते हुए,
आश्रम में अंतिम सांस गिनते हुए
पेड़ों पर फांसी लटकते हुए।
इन सारे अनुभवों के पश्चात
करता है अपनों से कुछ ऐसी फरियाद
जब कभी भी उसके बुढ़ापे का लगे बोझ,
तो चुपके से भोजन में उसके
दो बूंद विष अवश्य मिला देना।
करता है बेटों से कुछ ऐसा निवेदन
अर्थी को उसके कंधे में बिठाकर
घाट तक जरूर पहुंचा देना,
यदि परवरिश में हुई हो कमी
तो पिता की मजबूरी समझकर क्षमा कर देना।
गोपाल नेवार, गणेश,
सलुवा खड़गपुर, पश्चिम मेदिनीपुर,
पश्चिम बंगाल। 9832170390.