किसी भी विवाह को इस आधार पर अवैध घोषित नहीं किया जा सकता कि वैवाहिक जोड़े में से एक नपुंसक है या फिर वह विवाह के बाद किसी अन्य धर्म से जुड़ गया। यह टिप्पणी करते हुए तीस हजारी कोर्ट की अतिरिक्त जिला जज सुजाता कोहली ने एक व्यक्ति की दायर अर्जी को खारिज कर दी। व्यक्ति ने अदालत में अर्जी दायर कर अपनी पत्नी को नपुंसक बताकर विवाह को अवैध घोषित किए जाने की मांग की थी।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अर्जी दायर करने वाले व्यक्ति ने अपनी शादी को अवैध घोषित किए जाने को लेकर जो तथ्य अदालत के समक्ष रखे हैं। उसके आधार पर उसे पत्नी से तलाक तो मिल सकता है, मगर शादी को अवैध घोषित नहीं किया जा सकता है। लिहाजा, अर्जी दायर करने वाले व्यक्ति को सही तथ्यों के आधार अदालत के समक्ष अलग से अर्जी दायर करनी चाहिए।
पेश मामले के अनुसार, दिल्ली निवासी एक युवक ने तीस हजारी कोर्ट में अर्जी दाखिल की। अर्जी में युवक का कहना था कि उसने लखनऊ में 16 जुलाई 2011 को आर्य समाज मंदिर में एक युवती से विवाह किया था। विवाह के बाद युवती ने उससे संबंध बनाने से इंकार कर दिया। बाद में पता चला कि उसकी पत्नी नपुंसक है। यह बात उसकी पत्नी ने विवाह से पूर्व छिपाई। इतना ही नहीं, उसकी पत्नी ने विवाह के बाद ईसाई धर्म अपना लिया। इसलिए शादी को ंअवैध घोषित किया जाए।